महा विकास अघाड़ी मोर्च में रिंग मास्टर की भूमिका में हैं शरद पवार!
बेंगलुरू। महाराष्ट्र में नवगठित महा विकास अघाड़ी मोर्चे की सरकार का नेतृत्व पर्दे के सामने भले ही शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे कर रहे हैं, लेकिन सरकार की बागडोर एनसीपी चीफ शरद पवार के हाथों में हैं। अनुभवहीन उद्धव ठाकरे की कमजोरी नहीं, बल्कि यह मजबूरी कहें तो कुछ गलत नहीं होगा।
कुल तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे चुके एनसीपी चीफ शरद पवार की गिनती महाराष्ट्र में एक मंझे हुए नेता के रूप में होती है। महज 38 वर्ष की उम्र में महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने शरद पवार ने वर्ष 1978 में वसंतदादा पाटिल नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के 17 विधायकों को तोड़कर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे थे। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ने गठित सरकार के मास्टर माइंड भी शरद पवार ही थे। यही कारण है कि अनुभवहीन उद्धव ठाकरे ने उन्हें ही अपना गुरू बना लिया है।
गौरतलब है महाराष्ट्र में एक महीने तक चले सियासी ड्रामे के बाद जब बीजेपी नेता और पूर्व महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र में रातों-रात सरकार बन गई थी, तो शरद पवार की राजनीतिक सूझबूझ ही थी कि तीन दिन के भीतर ही बीजेपी की सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा। एनसीपी के अंदर भतीजे अजित पवार के भीतरघात और एनसीपी विधायकों को टूटने से बचाने के लिए शरद पवार ने ऐसा शिंकजा कसा कि नई सरकार में डिप्टी सीएम की शपथ ले चुके अजीत पवार को इस्तीफा देकर घर लौटना पड़ गया।
जो महाराष्ट्र की राजनीति को समझते हैं वो जानते हैं कि महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी मोर्च की सरकार के किंग मेकर शरद पवार ही हैं और उनकी मर्जी के बगैर महाराष्ट्र की नई सरकार में कुछ भी नहीं करेगी, क्योंकि शरद पवार ही इस सरकार की नींव हैं और कांग्रेस और शिवसेना को जोड़ने वाले फेवीकोल भी। उद्धव ठाकरे खुद भी सरकार के मुखिया होने के बावजूद शरद पवार की मर्जी के खिलाफ कदम उठाने से पहले 100 बार सोचेंगे।
इस पूरे गणित को आप इस तरह से समझा जा सकता है। महाराष्ट्र में सरकार गठन की कवायद से पूर्व मीडिया में एक साथ दो तस्वीरें सामने आईं थी। पहली में मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार उद्धव ठाकरे अपने पिता बाल ठाकरे के कमरे में जाकर उनको नमन करते दिखते हैं और दूसरी तस्वीर में वो शरद पवार के सामने नतमस्तक नजर आते हैं।
उक्त दोनों तस्वीरें बताती हैं कि उद्धव ठाकरे भी जानते हैं कि पांच साल के लिए वो सीएम तो बनाए जा रहे हैं, लेकिन उनकी कुर्सी उस वक्त तक कायम है जब तक शरद पवार चाहते हैं। इसीलिए कहा जा रहा है कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार चलाना उद्धव के लिए इतना आसान नहीं होगा।
ऐसा इसलिए भी संभव है कि एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी मोर्च वाली महाराष्ट्र सरकार का केंद्र मातोश्री नहीं बल्कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार का घर सिल्वर ओक है, जहां शरद पवार महाराष्ट्र सरकार के बड़े फैसलों का पूरा असर होगा।
यह बात उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने से पहले तय हो गई थी कि महाराष्ट्र का प्रत्यक्ष और परोक्ष सत्ता किसकी चलेगी। उद्धव ठाकरे की कुर्सी का वक्त और वजूद शरद पवार पर निर्भर करता है। इसलिए कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार के सारे दरबार पवार के घर सिल्वर ओक पर ही लगने वाले हैं, जो अब मातोश्री की जगह ले चुके हैं।
वैसे भी उद्धव ठाकरे मातोश्री छोड़कर वर्षा यानी मुख्यमंत्री आवास में शिफ्ट हो चुके हैं। सरकार चलाने में अनुभवहीन उद्धव ठाकरे भी नहीं चाहेंगे कि उनकी अनुभवहीनता का खामियाजा साझा सरकार पर पड़े। यही कारण है कि उद्धव ठाकरे फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं और उनके बयानों में विपक्ष (बीजेपी) के लिए भी तल्खी नहीं है।
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस की तारीफ इसकी बानगी है। वरना सभी जानते हैं कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार के नाकामी के पीछे देवेंद्र फडणवीस ही थे। शिवसेना अंत तक बीजेपी से मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में देवेंद्र फडणवीस का विरोध करती रही, लेकिन बीजेपी शीर्ष नेताओं ने शिवसेना की मांग को खारिज कर दिया।
उद्धव ठाकरे खुद भी चाहते हैं कि उनके नेतृत्व में महा विकास अघाड़ी मोर्च की सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे। इसलिए वह खुद भी नहीं चाहेंगे कि उनकी किसी की गलती से उनकी सरकार पर किसी तरह का आंच आए। क्योंकि एनसीपी चीफ शरद पवार सरकार बनाने से पहले भी अपने बयानों से शिवसेना को चौंका चुके हैं।
उद्धव यह भी अच्छी तरह से जानते हैं कि अजित पवार की बगावत के बाद शरद पवार की राजनीतिक कुशलता से महा विकास अघाड़ी की सरकार को वजूद में आई है और अगर शरद पवार चाह लेंगे तो मौजूदा सरकार को पटरी से उतारने में भी वक्त नहीं लगेगा।
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