शरद पवार और मायावती का चुनाव ना लड़ना एनडीए की जीत का संकेत है- शिवसेना
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। शिवसेना महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। वो पीएम मोदी की अगुवाई वाले गठबंधन का हिस्सा है। शिवसेना ने शुक्रवार को अपने मुख पत्र सामना में कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) प्रमुख शरद पवार और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती का लोकसभा चुनाव ना लड़ने का फैसला राष्ट्रीय जनत्रातिंक गठबंधन (एनडीए) की जीत का स्पष्ट संकेत है। उन्होंने दावा किया कि प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन का खेल बिगाड़ देगी। कांग्रेस और बीएसपी के एक वोट बैंक होने की वजह से होगा।
'नरेंद्र मोदी फिर बनेंगे पीएम'
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में लिखा कि शरद पवार और मायावती का चुनाव ना लड़ना इस बात का संकेत है कि नरेंद्र मोदी का जीतकर प्रधानमंत्री के रूप में वापस आना साफ है। शरद पवार के साथ मायावती ने भी लोकसभा चुनाव ना लड़ने का फैसला किया है। इसके बाद सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि दोनों प्रधानमंत्री पद की रेस से बाहर हो गए हैं। शिवसेना ने मायावती के बयान का हवाला देते हुए कहा कि वो देशभर में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करना चाहती हैं इसलिए उन्होंने चुनाव ना लड़ने का फैसला किया। बीएसपी की मौजूदगी केवल उत्तर प्रदेश में है और उनके चुनाव ना लड़ने के फैसले का मतलब है कि वो चुनाव लड़ने से भाग रही हैं।
'विपक्षी एकता पर शरद पवार पर कसा तंज'
शिवसेना ने अपने मुख पत्र में शरद पवार पर तंज कसते हुए कहा कि वो माधा सीट से चुनाव लड़ने से भाग रहे हैं। विपक्ष को एकजुट करने की उनकी कोशिशों पर सेना ने कहा कि वो पूरे विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अपने परिवार और पार्टी सदस्यों को एकजुट नहीं कर पा रहे हैं। रंजीत सिंह मोहिते पाटिल का एनसीपी छोड़कर बीजेपी में शामिल होना पवार के लिए बड़ा झटका है।
'प्रियंका से मायावती को खतरा'
शिवसेना ने कहा कि साल 2014 के चुनाव में यूपी में दलित और यादवों ने पीएम मोदी के लिए भारी संख्या में वोट दिया था । इस चुनाव में मायावती का एक भी उम्मीदवार नहीं जीत पाया था। यह डर उन्हें (मायावती) को आज भी सताता है। प्रियंका की पर्यटन यात्रा को राज्य में अच्छी प्रितिक्रिया मिल रही है। इसी वजह से मायावती को डर है कि वह जहां से भी लड़ने का फैसला करेंगी वहां कांग्रेस नेता उनका खेल बिगाड़ देंगी। मायावती को सबसे ज्यादा डर बीजेपी की बजाय कांग्रेस से है।मायावती प्रियंका के सक्रिय राजनीति में आने के कारण ही चुनाव नहीं लड़ रही हैं।
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