अजित पवार के पीछे है शरद पवार का हाथ, इस आरोप पर पहली बार क्या बोले एनसीपी प्रमुख
अजित पवार के भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के पीछे क्या शरद पवार का ही हाथ है। एनसीपी प्रमुख ने इस आरोप पर पहली बार चुप्पी तोड़ी है...
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद सियासी माहौल एक बार फिर गर्मा गया है। कांग्रेस सहित शिवसेना और एनसीपी नेता शरद पवार ने दावा किया है कि भाजपा के पास सरकार गठन के लिए जरूरी संख्याबल नहीं है और फ्लोर टेस्ट में देवेंद्र फडणवीस की सरकार गिर जाएगी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है और तीनों दलों ने तत्काल फ्लोर टेस्ट की मांग की है। वहीं, भाजपा का कहना है कि उसके पास 170 विधायकों का समर्थन है। महाराष्ट्र में चल रहे इसी सियासी घमासान के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उस आरोप का जवाब दिया है, जिसमें कहा जा रहा है कि अजित पवार के भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के पीछे शरद पवार का ही हाथ है।
आरोप पर क्या बोले शरद पवार
महाराष्ट्र के कराड में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे शरद पवार से जब पूछा गया कि ऐसा कहा जा रहा है कि अजित पवार के इस कदम के पीछे आपका हाथ है, इसपर उन्होंने जवाब दिया, 'मैं अब शिवसेना के साथ बहुत आगे निकल आया हूं। अगर मेरा ऐसा कोई इरादा होता तो मैं अपने नेताओं को जरूर भरोसे में लेता। मैंने शिवसेना को वादा दिया था, इसलिए उनके साथ कुछ भी बुरा नहीं कर सकता। हमें पांच साल तक तीन पार्टियों के साथ सरकार चलानी थी, हम जल्दबाज़ी में काम नहीं कर सकते थे।'
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दावा पेश करने में क्यों हुई देरी, शरद पवार ने बताया
शरद पवार ने आगे कहा, 'मुख्यमंत्री के पद पर बंटवारे को लेकर तीनों दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी। सीएम पद पर हमने 50-50 फॉर्मूले के तहत साझेदारी की मांग की थी और इस बात पर तीनों दलों के बीच कुछ मतभेद थे। इसी वजह से तीनों दलों को अंतिम निर्णय लेने में देरी हुई।' आपको बता दें कि 12 नवंबर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं ने कई दौर की बैठकें कीं। इससे पहले भारतीय जनता पार्टी की तरफ से सरकार बनाने से इनकार किए जाने के तुरंत बाद, शिवसेना एनसीपी-कांग्रेस के पास पहुंची थी। हालांकि, लगभग दो हफ्ते बाद भी तीनों पार्टियां सरकार बनाने का दावा नहीं पेश कर सकीं।
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने पेश किया सरकार का दावा
वहीं, सोमवार को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं ने राजभवन जाकर विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी। हालांकि इस दौरान राजभवन में राज्यपाल मौजूद नहीं थे। तीनों दलों के नेताओं ने कहा कि उनके पास कुल 154 विधायकों का समर्थन है। एनसीपी ने भी दावा किया है कि 54 में से 53 विधायकों का समर्थन उनके पास है और ऐसे में भाजपा का सरकार बनाना अलोकतांत्रिक है। एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि अजित पवार ने भाजपा के साथ जाकर गलती है और उन्हें डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा देकर वापस अपनी पार्टी में आना चाहिए।
अजित पवार ने ऐसे बदले समीकरण
आपको बता दें कि बीते शनिवार को देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और एनसीपी नेता अजीत पवार ने प्रदेश के डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली। दरअसल खबर है कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को समर्थन देने के लिए जिस कागज पर एनसीपी विधायकों के दस्तखत कराए गए थे, वो ही कागज अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस को दे दिया। सूत्रों की मानें तो एनसीपी की बैठक में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के लिए जिस पेपर पर पार्टी के विधायकों से दस्तखत कराए गए थे, उस पेपर पर मुख्यमंत्री का नाम नहीं था। इसकी वजह ये थी कि शिवसेना की तरफ से उस समय तक सीएम पद के लिए कोई नाम ही तय नहीं हुआ था। दरअसल शुक्रवार देर रात तक उद्धव ठाकरे सीएम पद के लिए अपने नाम को लेकर पूरी तरह तैयार नहीं थे। इसी बात का फायदा अजीत पवार ने उठाया और विधायकों के समर्थन वाला पेपर देवेंद्र फडणवीस के समर्थन में राज्यपाल को सौंप दिया।
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