आर्मी इंटेलीजेंस ने कैमरे में कैद की थी बाबरी मस्जिद गिराने की घटना!
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की पूरी घटना को आर्मी इंटेलीजेंस यूनिट ने कैमरे में कैद किया था। यह पूरा काम उस समय देश के रक्षा मंत्री रहे शरद पवार के आदेश पर किया गया था।
पवार ने कहा कि उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा किए गए 'कार सेवा' की अपील पर पर क्या होने वाला है।पवार ने बताया कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव से कड़ा रुख अख्तियार करने के लिए कहा था, लेकिन राव फोर्स को प्रयोग करने के पक्ष में नहीं थे। पवार ने हाल ही में रिलीज हुई अपनी आत्मकथा 'ऑन माई टर्म्स' में इन बातों का खुलासा किया है।
पवार ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, 'मैंने सुझाव दिया कि हमें विवादित स्थल पर एहतियाती कदम उठाते हुएआर्मी ट्रूप्स डेप्लॉय करने होंगे, लेकिन उन्होंने (राव) मेरे सुझाव को ठुकरा दिया। जब मेरा सुझाव ठुकरा दिया गया तो मैंने आर्मी की इंटेलीजेंस यूनिट को छह दिसंबर को होने वाली पूरी घटना को फिल्माने का आदेश दिया।'
पवार ने आगे लिखा है, 'इस वीडियो में 'कारसेवकों' द्वारा विवादित बाबरी ढांचे को गिराए जाने के विभिन्न हिस्सों को फिल्माया गया है। साथ ही द्वारा कार सेवकों को उकसाए जाने को भी शूट किया गया है।'
गौरतलब है कि एनसीपी प्रमुख पवार उस समय कांग्रेस के सदस्य थे। पवार ने लिखा है कि बाबरी प्रकरण ने नरसिम्हा राव की एक नेता के तौर पर कमजोरी को उजागर कर दिया।
निश्चित तौर पर वह नहीं चाहते थे कि विवादित ढांचा ढहाया जाए, लेकिन उन्होंने इसे रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। पवार के अनुसार, तत्कालीन गृह सचिव ने राव को ब्योरेवार ढहाए जाने की पूरी घटना का विवरण दिया था। उस मीटिंग में प्रधानमंत्री 'ऐसे बैठे थे, जैसे वह किसी अवसाद में हों'।