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यूपी के शामली में प्रधान के उत्पीड़न से पलायन का क्या है मामला

स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहा है, पुलिस ने इन आरोपों से किया इनकार.

By BBC News हिन्दी
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शामली ज़िले में एक ग्राम प्रधान के कथित उत्पीड़न से दर्जनों घरों पर पिछले कुछ दिनों से "मकान बिकाऊ है" के पोस्टर लगे हैं.

पीड़ित ग्रामीणों का आरोप है कि बार-बार शिकायत के बावजूद पुलिस और प्रशासन उनकी बात नहीं सुन रहा है और उल्टे शिकायत करने वालों पर ही मुक़दमे दर्ज किए जा रहे हैं.

shamli people have warned of migration in a village in uttar pradesh

शामली ज़िले के बाबरी थाना क्षेत्र के गांव गोगवान जलालपुर के ब्राह्मण समाज के दर्जनों लोगों का आरोप है कि ग्राम प्रधान के चुनाव में कथित तौर पर वोट न देने का आरोप लगाते हुए नवनिर्वाचित प्रधान के पति और उनके समर्थक लगातार धमकी दे रहे हैं और परेशान कर रहे हैं.

उत्पीड़न से परेशान गांव वालों ने अपने घरों पर "प्रधान के उत्पीड़न से परेशान हम पलायन को मजबूर हैं. मकान बिकाऊ है" के पोस्टर लगा रखे हैं.

शुक्रवार को बड़ी संख्या में इन लोगों ने ज़िलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन भी किया और ज़िलाधिकारी को इस बारे में एक ज्ञापन दिया.

प्रदर्शनकारियों ने गांव के प्रधान पति जयप्रकाश राणा और उनके बेटे विनय राणा पर उत्पीड़न का आरोप लगाया और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की.

लेकिन ग्राम प्रधान के पति जयप्रकाश राणा का कहना है कि ऐसा वो लोग कर रहे हैं जिन्होंने ग्राम समाज की ज़मीन पर कब्ज़ा कर रखा है और हमने उसे खाली करवाने के लिए प्रशासन से मदद मांगी है.

लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो ज़मीन पर कथित तौर पर कब्ज़े की शिकायत, ग्रामीणों के पलायन की धमकी के बाद की गई है और जिस जगह पर कब्ज़े की बात कही जा रही है, उस पर कई साल से लोगों के घर बने हुए हैं.

प्रशासन का इनकार

हालांकि पुलिस और प्रशासन पलायन जैसी किसी ख़बर को सीधे ख़ारिज कर रहा है लेकिन इस मामले में अब तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है.

शामली के पुलिस अधीक्षक सुकृति माधव कहते हैं, "पलायन कोई नहीं कर रहा है. यह बात बिल्कुल बेबुनियाद है. जो पोस्टर्स लगे थे वो सब हटा दिए गए हैं. ज़मीन पर कब्ज़े की शिकायत के मामले में डीएम ने जांच कमेटी बना दी है."

जलालपुर के रहने वाले बुज़ुर्ग मेघनाथ शर्मा कहते हैं कि ब्राह्मण समाज के लोगों के मकानों के बाहर लगे नल, स्ट्रीट लाइट को उखड़वा दिया गया और टंकी का पानी बंद कर मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है.

मेघनाथ शर्मा कहते हैं, "9 मई को समाज के ही एक व्यक्ति का कुछ लोगों ने अपहरण का प्रयास किया. हर दिन लोगों को धमकी दी जा रही है और कहा जा रहा है कि जान से मार देंगे क्योंकि तुम लोगों ने हमें वोट नहीं दिया है. पुलिस और प्रशासन में भी हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हमारी शिकायत तक पुलिस नहीं दर्ज कर रही है."

मोहित शर्मा नाम के एक युवक का आरोप है कि दो दिन पहले प्रधान के कुछ समर्थकों ने उसे जबरन मोटरसाइकिल पर बैठाने की कोशिश की लेकिन कुछ दूसरे लोगों के आने के बाद वो वहां से चले गए.

इस तरह की शिकायतें गांव के कई और लोगों ने भी की हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस को इन सब घटनाओं की शिकायत कई बार की गई लेकिन एक भी एफ़आईआर नहीं दर्ज की गई.

वायरल ऑडियो पर कार्रवाई

स्थानीय पत्रकार श्रवण शर्मा कहते हैं कि 'ग्राम प्रधान के एक भतीजे का चुनाव से पहले एक ऑडियो सामने आया है जिसमें वो योगेश के नाम के एक व्यक्ति को धमकी दे रहे हैं. इस ऑडियो में न सिर्फ़ बेहद अश्लील भाषा में गालियां दी जा रही हैं बल्कि जान से मारने की भी खुलेआम धमकी दी जा रही है.'

शामली के पुलिस अधीक्षक सुकृति माधव ने बीबीसी हिंदी को बताया कि वायरल ऑडियो की आरम्भिक जांच में पता लगा है कि उसका जाति आधारित विवाद से कोई लेना देना नहीं है, बल्कि संवाद करने वाले दोनों लोग एक ही जाति के हैं.

एसपी माधव के मुताबिक इस मामले में मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है.

कुछ ग्रामीणों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुलिस और प्रशासन अब उन्हीं लोगों को धमकाने पर लगा है जिन्होंने अपने घरों के बाहर पलायन के पोस्टर लगा रखे हैं.

एक युवा ग्रामीण ने बीबीसी को बताया, "खुलेआम हम लोगों को गालियां दी गईं, रोज़ अभद्रता की जा रही है, डराने के लिए फ़ायरिंग तक हो रही है लेकिन प्रशासन की सारी जांच ज़मीन के कब्ज़े की झूठी शिकायत पर फ़ोकस है. हमारी तहरीर तक नहीं ली गई है."

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान के पति जयप्रकाश राणा राज्य सरकार के एक मंत्री के बेहद क़रीबी हैं और उन्हीं के दबाव में न तो उनकी शिकायत दर्ज हो रही है और न ही प्रधान के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई हो रही है.

नकली सिंह नाम के एक बुज़ुर्ग कहते हैं, "हम गाली-गलौज नहीं कर सकते हैं और न ही लड़ सकते हैं. प्रशासन और पुलिस हमारी मदद नहीं कर रही है. तो अब हमारे पास रास्ता क्या बचा है. हम घर बेचकर कहीं और चले जाएंगे. हो सकता है कि दूसरी जगह हमें इस तरह से न प्रताड़ित होना पड़े."

क़रीब चार हज़ार की आबादी वाले गोगवान जलालपुर गांव में ब्राह्मणों की जनसंख्या क़रीब 500 है जबकि राजपूत समुदाय के क़रीब 1300 लोग हैं. बाक़ी अन्य समुदायों के लोग हैं.

जयप्रकाश राणा और उनके परिजन पिछले तीन साल से लगातार प्रधान हो रहे हैं. दो बार लगातार जयप्रकाश राणा ग्राम प्रधान रहे जबकि इस बार महिला सीट होने पर उनकी पत्नी सुषमा प्रधान बनी हैं.

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English summary
shamli people have warned of migration in a village in uttar pradesh
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