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शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती आज, पीएम मोदी ने किया नमन, पढ़ें-क्रांतिकारी के अनमोल विचार

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नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद ए आजम भगत सिंह की जयंती पर शुक्रवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। आपको बता दें कि आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 111वीं जयंती है।

देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी और अंग्रेजी हुकूमत की जड़ों को अपने साहस से झकझोर देने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्‍म 1907 में 28 सितंबर को हुआ था। 13 अप्रैल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने एक पढ़ने लिखने वाले सिख लड़के की सोच को ही बदल दिया।

 शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती आज

शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती आज

1922 में चौरीचौरा कांड के बाद असहयोग आंदोलन को खत्‍म करने की घोषणा के बाद भगत सिंह का मन अहिंसावादी आंदोलन से उचट गया और वो ईंट का जवाब पत्थर से देने वाले रास्ते पर चल पड़े।

नौजवान भारत सभा की स्‍थापना

उन्‍होंने 1926 में देश की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्‍थापना की। 23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर षडयंत्र के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया।

पढ़ें: शहीद-ए-आजम भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार

पढ़ें: शहीद-ए-आजम भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार

यदि बहरों को सुनना है तो आवाज को बहुत जोरदार होना होगा, जब हमने बम गिराया तो हमारा धेय्य किसी को मरना नही था, हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था, अंग्रेजी को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आजाद करना चाहिये - भगत सिंह

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दूसरो के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं...

दूसरो के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं...

जिन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है....
दूसरो के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं - भगत सिंह

राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान ....

राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान ....

राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद हैं - भगत सिंह

इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से

इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से

इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से,
अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूं तो इंक़लाब लिखा जाता है-भगत सिंह

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Comments
English summary
Shaheed Bhagat Singh's valour motivates millions of Indians across generations. I bow to this proud son of India on his Jayanti and join my fellow citizens in remembering his heroic deeds that contributed to India’s freedom.
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