Jammu Kashmir: फारूख, उमर और महबूबा के बाद अब घाटी के पहले IAS ऑफिसर रहे शाह फैसल पर भी PSA
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के पूर्व आईएएस ऑफिसर शाह फैसल पर भी सरकार ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) कानून लगा दिया है। फैसल, घाटी के पहले आइएएस ऑफिसर रह चुके हैं और जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) पार्टी के चीफ भी हैं। शाह फैसल के अलावा राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर भी यह कानून लगाया गया है। बाकी नेताओं की ही तरह शाह फैसल भी पांच अगस्त 2019 को जब जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था तब से ही हिरासत में हैं।
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कौन हैं शाह फैसल
फैसल वर्ष 2009 में आईएएस के लिए सेलेक्ट हुए थे। कश्मीर से आइएएस बनने वाले वह पहले आईएएस ऑफिसर थे। साल 2016 में वह पहली बार उस समय खबरों में आए थे जब हिजबुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान वानी को एनकाउंटर में मारा गया। इसके बाद उनके हवाले से वानी के समर्थन में कुछ बातें ट्विटर पर लिखी गईं। फैसल के ट्विटर हैंडल से पोस्ट इन बातों को लेकर काफी विवाद हुआ और उन्हें बयान देना पड़ा कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है। साथ ही शाह फैसल ने मीडिया से भी अनुरोध किया कि वे उन्हें प्रपोगेंडा का हिस्सा न बनाएं। पीएसए कानून के तहत अगर सरकार को शक है कि आप सार्वजनिक या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं तो सरकार आपको हिरासत में ले सकती है। यह कानून फारूख अब्दुल्ला के पिता और उमर अबदुल्ला के दाद शेख अब्दुल्ला लेकर आए थे। सितंबर 2019 में केंद्र सरकार की तरफ से नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूख अब्दुल्ला पर पहली बार पीएसए लगाया गया था। आर्टिकल 370 हटने के बाद अब्दुल्ला पहले बड़े नेता थे जिन्हें इस कानून के तहत हिरासत में रखा गया था। केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल से जानकारी दी गई थी कि अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया है।
Shah Faesal, former civil servant and chief of Jammu & Kashmir People's Movement (JKPM), booked under Public Safety Act. (file pic) pic.twitter.com/Mh67ReKcnI
— ANI (@ANI) February 15, 2020
कई आतंकी और पत्थरबाजों पर लगा कानून
आठ अप्रैल 1978 को कानून को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की मंजूरी मिली थी। जिस समय इस कानून को लागू किया गया था, उस समय इसका मकसद लकड़ी की तस्करी को रोकना था। बाद में इस कानून को आतंकवाद रोकने के लिए जरूरी उपायों में शामिल कर लिया गया। कानून के तहत सरकार किसी इलाके को संरक्षित घोषित करती है और इसके बाद वहां पर नागरिकों के आने-जाने पर कुछ पाबंदियां लगा दी जाती हैं। अगर कोई भी जबरन दाखिल होने की कोशिश करता है तो फिर उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की जाती है। यह कानून सरकार को अधिकार देता है कि वह ऐसे किसी को भी व्यक्ति को हिरासत में ले सकती है जो सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरा हो सकता है। पीएसए के बाद घर को वैकल्पिक जेल में बदल दिया जाता है और आरोपी को घर में ही रहना होता है। अब्दुल्ला को इस कानून के तहत जब रखा गया था तो उन पर दोस्तों और रिश्तेदारों से न मिलने की कोई पाबंदी नहीं है। इस कानून के तहत कई बार सरकार की ओर से अलगाववादी नेताओं को हिरासत में रखा जा चुका है और हर बार अलगाववादी नेताओं को इस कानून के तहत हिरासत में रखने पर घाटी में काफी बवाल हुआ है।