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लोगों के बीच दरार डाल रही सरकार, सीएए नाकामी से ध्यान भटकाने का तरीका: शबाना आजमी

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Modi Government CAA के बहाने इन मुद्दों से बच रही?, जानिए Shabana Azmi ने क्या कहा | वनइंडिया हिंदी

नई दिल्ली। अभिनेत्री और एक्टिविस्ट शबाना आजमी ने कहा है कि केंद्र की सरकार ने नागरिकता कानून लाकर लोगों के बीच दरार डालने का काम किया है। उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून और एनआरसी जैसे सब मुद्दे बोरोजगारी, मंहगाई जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के तरीके हैं। शबाना आजमी, शायर जावेद अख्तर, लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी, वृंदा करात बुधवार को एक्टिविस्ट सफदर हाशमी के शहादत दिवस कार्यक्रम में गाजियाबाद के साहिदाबाद पहुंचे थे। जहां उन्होंने ये बातें कहीं।

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शबाना आजमी ने कड़े शब्दों में केंद्र की एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बहुसंख्यक आबादी पर नियंत्रण पाने के लिए हिंदू-मुस्लिमों के बीच दरार डाली जा रही है। देश का विकास करने के लिए लोगों को धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि बहुत अमीर, अमीर, गरीब और बहुत गरीब की श्रेणी में बांटा जाना चाहिए।

रंगकर्मी सफदर हाशमी के 31वें शहादत दिवस पर सीटू की ओर से आयोजित कार्यक्रम में जावेद अख्तर ने कहा कि 1947 में मुस्लिमों के लिए पाकिस्तान को बनाया गया था लेकिन वहां मुस्लिम सुकून में नहीं हैं। उससे बेहतर स्थिति में आज भी हिंदुस्तान के मुस्लिम हैं लेकिन आज लोगों को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और भोजन जैसे मूलभूत अधिकारों के बारे में सोचने नहीं दिया जा रहा है। सीएए पर उन्होंने कहा कि जिस भेदभाव की इजाजत संविधान नहीं देता वो किया जा रहा है। देश में ऐसा कानून नहीं होना चाहिए जिसमें धार्मिक भेदभाव हो।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सफदर हाशमी एक क्रांतिकारी थे। उन्होंने देश में धर्मनिरपेक्षता कायम रखने के लिए काम किया। उनके नाटक भी सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए थे। येचुरी ने कहा कि देश के संविधान को बचाना है। सरकार कहती है कि नागरिकता कानून से किसी को खतरा नहीं है लेकिन कानून में आपसे जानकारी के लेने के बाद एक अधिकारी उसका मूल्यांकन करेगा, जो किसी भी परिवार के नाम पर प्रश्नचिन्ह लगा सकता है।

सफदर हाशमी एक नाटककार, निर्देशक, गीतकार और कलाविद थे। भारत में नुक्कड़ नाटक को आगे बढ़ाने में हाशमी का बेहद खास योगदान रहा है। उन्होंने अपने नाटकों के माध्यम से शोषित और वंचित लोगों की आवाज को बुलंद किया था। 1 जनवरी 1989 को साहिबाबाद में नुक्कड़ नाटक 'हल्ला बोल' का मंचन करते हुए सफदर हाशमी पर हमला किया गया था जिसमें उनकी जान चली गई थी। उस समय कांग्रेस से जुड़े लोगों पर उन पर हमले के आरोप लगे थे।

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