CJI के खिलाफ यौन शोषण मामले में जांच कमेटी की टिप्पणी से नाराज इंदिरा जयसिंह
नई दिल्ली। यौन शोषण मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने क्लीन चिट दे दी है। तीनों ही जजों की कमेटी जोकि इस मामले की जांच कर रही थी उसने अपने फैसले में कहा कि कृपया 2003 के इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट का संज्ञान लें, जिसके अनुसार कमेटी की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की जरूरत नहीं है। कमेटी की इस टिप्पणी की आलोचना करते हुए सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील और एक्टिविस्ट इंदिरा जयसिंह ने कहा कि यह खराब कानून है कि जनहित में जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।
ट्वीट कर जताई आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट की जांच कमेटी के इस फैसले के बाद खुद इंदिरा जय सिंह ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए हैशटैग #NotInMyName का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक स्कैंडल है। इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट का मामला भी यौन शोषण का मामला था, जिसमे कर्नाटक हाई कोर्ट के जज पर यौन शोषण का आरोप था। यह पूर्वस्थापित आरटीआई का मामला है और गलत कानून है। मैं इस जांच कमेटी की रिपोर्ट को जनहित में सार्वजनिक किए जाने की मांग करती हूं।
2003 में भी लगा था आरोप
बता दें कि वर्ष 2003 में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच जस्टिस एस राजेंद्र बाबू, जीपी माथुर ने अपना फैसला दिया था। जिसमे इंदिरा जयसिंह की जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया था, जिसमे उन्होंने मांग की थी मामले की जांच की रिपोर्ट को जनहित में सार्वजनिक किया जाए। 2003 में भी कर्नाटक हाई कोर्ट के तत्कालीन जज पर यौन शोषण का आरोप लगा था लेकिन उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी।
खुद की संतुष्टि के लिए यह जांच
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज के खिलाफ आंतरिक जांच का उद्देश्य खुद की संतुष्टि है। ऐसे में इस तरह की जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाता है तो यह संस्थान को लाभ पहुंचाने की बजाए यह उसे और नुकसान पहुंचाएगी क्योंकि फिर जज चाहेंगे कि उनके खिलाफ जांच हो और उनके खिलाफ अभियोग चले। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के लिए यह सही नहीं है कि वह जांच रिपोर्ट के लिए कोर्ट का रुख करें।
तीन मुख्य जजों के पैनल ने की थी जांच
गौरतलब है कि 2 फरवरी 2003 के मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के जज के खिलाफ यौन शोषण मामले की जांच के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सी के ठक्कर, केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएल गुप्ता और ओडिशा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एके पटनायक की कमेटी गठित की गई थी। इस जांच कमेटी का गठन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीबी पटनायक ने किया था। जांच कमेटी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वीएन खरे को सौंपी थी। जिसके बाद इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की अपील की थी।
#NotInMyName
This is a scandal
Indira Jaising v Supreme Court of India was also a case of sexual harassment by a sitting High Court of Karnataka.It is a pre RTI case and is bad in law
— indira jaising (@IJaising) May 6, 2019
Demand the disclosure of the findings of the enquiry committee in public interest https://t.co/Saw07mBPhV
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