सेक्स चेंज, नौकरी और कानून में उलझी ज़िंदगी
29 साल की ललिता साल्वे का इंतज़ार ख़त्म होगा?
महाराष्ट्र के बीड जिले की ललिता साल्वे तकरीबन 20 साल की थीं जब उन्हें पुलिस कॉन्स्टेबल की नौकरी मिली.
वो ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थीं. उम्मीद थी कि वो दूसरे के खेतों में काम करने वाले अपने माता-पिता की मदद कर पाएंगी. सब उम्मीद के मुताबिक ही हो रहा था.
सब कुछ ठीक चल रहा था. दिन, महीने और साल बीत रहे थे. इसी दौरान एक दिन ललिता को अपने जननांगों के पास गांठ जैसा कुछ महसूस हुआ. उन्होंने अपनी मां को इस बारे में बताया और वो डॉक्टर के पास गए.
वहां उन्हें पता चला कि ललिता के शरीर में पुरुषों के हॉर्मोंस बन रहे हैं. ललिता ने बीबीसी से बताया, "डॉक्टर ने कहा कि चीजों को ठीक करने का सिर्फ एक तरीका है और वो सेक्स रिअसाइंमेंट सर्जरी यानी सेक्स चेंज."
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उस वक़्त ललिता की उम्र 24 साल थी. वो बताती हैं, "मैं पूरी ज़िंदगी ख़ुद को लड़की मानती आ रही थी. दुनिया के सामने मेरी पहचान लड़की की थी. अचानक मुझे लड़का बनने की सलाह दी गई. मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी."
इससे पहले ललिता को परेशानी तो हो रही थी. उन्हें ये भी लग रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ है लेकिन ये गड़बड़ क्या है, डॉक्टर के पास जाने के बाद मालूम हुआ.
वो याद करती हैं, "हम गरीब परिवार के लोग हैं. छोटी से गांव में रहते हैं. हमने पहले ऐसा कुछ देखा या सुना नहीं था. डॉक्टर ने बताया था कि ऑपरेशन महंगा होगा. हम बहुत परेशान हो गए थे."
डॉक्टर से मिलने के बाद ललिता की ज़िंदगी में सबकुछ बहुत तेजी से बदलने लगा.
वो बताती हैं, "मैं पुलिस की नौकरी में थी. महिला कॉन्स्टेबल थी. अपने लंबे बाल संवारकर उनका जूड़ा बनाती थी. मैं एक औरत थी लेकिन ये सब बदल रहा था. मैं अंदर ही अंदर घुटने लगी."
धीरे-धीरे हॉर्मोन्स बढ़ने लगे और साथ ही बढ़ने लगी ललिता की बेचैनी. वो कहती हैं, "मैं किसी को समझा नहीं सकती कि ये कितना उलझाऊ और तकलीफ़देह है. मेरी हालत सिर्फ वही समझ सकता है जो ख़ुद इससे जूझ रहा हो."
डॉक्टरों के समझाने पर और बेटी की तकलीफ़ देखकर ललिता के माता-पिता सर्जरी के लिए तैयार हो गए. उन्हें मुंबई के जेजे हॉस्पिटल रेफ़र किया गया. लेकिन मामला यहीं ख़त्म नहीं हुआ. ललिता ने एक महीने की छुट्टी के लिए अर्जी दी जिसे खारिज कर दिया गया.
ललिता के मुताबिक, "मेरे सीनियरों का कहना है कि पुलिस की गाइडलाइन में ये बात कहीं नहीं बताई गई है कि अगर कोई डिपार्टमेंट में काम करते हुए सेक्स चेंज ऑपरेशन कराना चाहे तो क्या फ़ैसला लिया जाएगा."
बीबीसी ने इस बारे में एसपी जी.श्रीधर से बात की तो उनका कहना था कि उनका विभाग ललिता से सहानुभूति रखता है और उनकी मदद करने के लिए तैयार है लेकिन इस बारे में कोई कानून मौजूद नहीं है इसलिए वो कोई कदम उठाने की स्थिति में नहीं हैं.
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उन्होंने कहा, "ललिता की भर्ती महिला पुलिस के तौर पर हुई थी. सर्जरी के बाद हम उसे पुरुष पुलिसकर्मियों की टीम में कैसे रख पाएंगे, इसकी जानकारी हमें नहीं है."
वहीं, ललिता के पास इतने पैसे और सुविधाएं नहीं है कि वो नौकरी छोड़कर ऑपरेशन कराएं. उनके वकील एजाज़ नक्वी का मानना है कि ललिता को सर्जरी के लिए छुट्टी न मिलना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2015 के फ़ैसले में साफ कहा था कि कोई भी शख़्स अपना जेंडर और सेक्शुअलिटी खुद तय कर सकता है. ये दोनों ही निजता का अधिकार (राइट टु प्राइवेटी) के दायरे में आते हैं. अगर ललिता की नौकरी सेक्स चेंज कराने की वजह से जाती है तो ये उनके मौलिक अधिकार का हनन होगा."
फ़िलहाल ललिता का मामला मुंबई हाई कोर्ट में है जहां उन्हें महाराष्ट्र प्रशासनिक ट्राइब्यूनल जाने की सलाह दी गई. ख़बरें मीडिया में आने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी मामले को संवेदनशीलता से देखने को कहा है.
तो क्या ललिता पुरुष बनने के लिए तैयार हैं? वो तुंरत हां में जवाब देती हैं.
उन्होंने कहा, "मुझे बस इंतज़ार है कि कब मेरा ऑपरेशन है और कब मैं आज़ाद हो जाऊं. सर्जरी के बाद मैं अपना नाम ललित रखूंगी. मैं चाहती हूं कि सब मुझे ललित ही मानें."
ललिता के साथ काम करने वाले उनके साथ कैसा बर्ताव करते हैं?
मराठी लहजे वाली हिंदी बोलते हुए ललिता कहती हैं, "किसी के दिल में क्या है ये तो मैं नहीं बता सकती लेकिन मेरे सामने तो सब अच्छा बर्ताव ही करते हैं. सब पूछते रहते हैं कि मेरा केस कितना आगे बढ़ा, मेरा ऑपरेशन कब होगा...''
ललिता अब जूड़ा नहीं बनातीं. उन्होंन बाल छोटे करा लिए हैं. वो अब पैंट-शर्ट पहनती हैं. ललिता चाहती हैं कि वो उन लोगों की मदद करें जो उनके जैसी उलझन से होकर गुजरते हैं.
बात पूरी होने से पहले वो भावुक होकर कहती हैं, "आप मेरे लिए दुआ करना, मेरे जैसे सारे लोगों के लिए दुआ करना."