तमिलनाडु में जयराज-बेनिक्स जैसा एक और मामला आया सामने, पुलिस हिरासत में एक और युवक की मौत
तूतीकोरिन। जयराज और बेनिक्स की पुलिस हिरासत में मौत के कुछ ही दिन बाद तूतीकोरिन जिले से पुलिस की बर्बरता का एक और मामला सामने आया है। इस मामले में भी वही अधिकारी शामिल हैं जो पिता-पुत्र की हत्याओं में शामिल थे। पुलिस हिरासत से बाहर आए एक 28 साल के युवक की मौत हो गई है। 28 वर्षीय महेंद्रन नाम के शख्स को शाकुंतलम के सब इंस्पेक्टर रघु गणेश और उनकी टीम 23 मई की सुबह से उनके नाना के घर से उठा ले गई थी।
पुलिस हिरासत में हुई बर्बरता
35 वर्षीय महेंद्रन का बड़ा भाई दुरई एक हत्या के मामले में नौ संदिग्धों में से एक था। जो फरार है। रघु गणेश और उनकी टीम ने दुरई जाने के लिए महेंद्रन को हिरासत में ले लिया। महेंद्रन के मामा पेरुमल ने कहा, वे जिस कार में आए थे, उसके आगे और पीछे की नंबर प्लेट को हटा दिया था। रघु गणेश के पास एक बंदूक थी और वह मुफ्ती के पास थी। उन्होंने महेंद्रन को पकड़ लिया और कहा कि तुम्हारे भाई आत्मसमर्पण करने के बाद ही तुम्हें रिहा करेंगे और वे उसे अपने साथ से ले गए। उन्होंने उसे अगली रात ही रिहा कर दिया। जब महेंद्रन घर आया तो वह अपना हाथ और एक तरफ का पैर नहीं हिला पा रहा था।
शख्स ने रिहा होते ही तोड़ा दम
शारीरिक रूप से अक्षम महेंद्रन की माँ ने बताया कि, मैं उससे पूछती रही कि उसके साथ क्या हुआ है। वह मुझे चुप रहने के लिए कहता रहा। मैंने देखा कि महेंद्रन की तबीयत बहुत खराब हो गई थी, वो पानी भी नहीं पी पा रहा था। मैं उसे तूतीकोरिन में हॉस्पिटल लेकर गई। डॉक्टर ने उसके सिर को स्कैन किया तो पता चला कि उसे चोट लगी थी। मैंने गुरुवार को उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया था और शनिवार को उसकी मौत हो गई।
इन्ही पुलिसवालों ने जयराज और बेनिक्स को पीट-पीटकर मार डाला था
श्रवण बाधित महेंद्रन की मां उस पर पूरी तरह से निर्भर थी, और वह महेंद्रन के ठीक होने की उम्मीद में थी। बता दें कि 59 वर्षीय पी जयराज और उनके 31 वर्षीय बेटे बेनिक्स को लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन कर तय समय से अधिक वक्त तक अपनी मोबाइल की दुकान खोलने के लिए 19 जून को गिरफ्तार किया गया था। दो दिन बाद एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। जयराज और बेनिक्स के परिजनों ने हिरासत में पुलिस द्वारा उनके साथ बर्बरता किए जाने का आरोप लगाया था।
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