वालंटियर के आरोपों को खारिज कर सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा- कोविशील्ड वैक्सीन सुरक्षित और इम्युनोजेनिक
नई दिल्ली। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन कोविशील्ड के परीक्षण में शामिल होने वाले वालंटीयर के आरोपों को एक बार फिर खारिज कर दिया है। कंपनी का कहना है कि कोविशील्ड बिल्कुल सुरक्षित और इम्युनोजेनिक है। चेन्नई के वालंटीयर के साथ जो कुछ हुआ वह वैक्सीन के कारण नहीं हुआ है। परीक्षण में सभी विनियामक, नैतिक प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है। डीएसएमबी और एथिक्स कमेटी के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर ने भी कहा है कि यह मामला वैक्सीन परीक्षण से संबंधित नहीं है।
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कंपनी की ओर से आगे कहा गया है, कंपनी की प्रतिष्ठा को सुरक्षित रखने के लिए कानूनी नोटिस भेजा गया था। प्रतिष्ठा को गलत तरीके से पेश किया जा रहा था। आपको बता दें कोविड-19 की संभावित वैक्सीन कोविशील्ड के परीक्षण में शामिल होने वाले एक व्यक्ति ने कंपनी पर आरोप लगाते हुए ये कहा था कि उसे वैक्सीन के कारण गंभीर परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। इससे उसे गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या और ज्ञानेंद्री संबंधी समस्या समेत अन्य परशानी हो रही है। इन आरोपों को कंपनी ने रविवार को खारिज कर दिया था। साथ ही कंपनी ने कहा कि ये आरोप गलत हैं और कंपनी ने भारी भरकम जुर्माना लगाने की धमकी तक दी।
40 साल के वालंटीयर ने सीरम इंस्टीट्यूट और अन्य से क्षतिपूर्ति के लिए पांच करोड़ रुपये मांगे थे। साथ ही मांग की थी कि परीक्षण को रोक दिया जाए। कंपनी ने कहा कि वह ऐसे आरोपों से अपना बचाव करेगी और इसके लिए 100 करोड़ रुपये तक का मानहानी का दावा कर सकती है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए दुनियाभर में कई कंपनियां वैक्सीन विकसित करने का काम कर रही हैं। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर वैक्सीन पर काम कर रही है। इस वैक्सीन का भारत में परीक्षण हो रहा है।
वैक्सीन टेस्ट में शामिल वालंटियर के आरोपों को सीरम इंस्टीट्यूट ने नाकारा, दी हर्जाने की धमकी