अमेरिकी नर्स का सनसनीखेज खुलासा, कोरोना मरीजों को वेंटिलेटर पर लिटाकर किया जा रहा है 'मर्डर'
नई दिल्ली- न्यूयॉर्क इस वक्त दुनिया में कोरोना वायरस की तबाही झेलने वाला सबसे बड़ा शहर बन चुका है। अकेले न्यूयॉर्क में 12,000 से ज्यादा लोगों की जान इसकी वजह से गई है। जबकि एंपायर स्टेट के दूसरे हिस्से में अलग से 4,300 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन, न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में कोविड-19 की फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मी की जिम्मेदारी निभा रही एक नर्स ने वहां के अस्पतालों की जो कहानी अपने एक दोस्त को जरिया बनाकर बताया है, वह कलेजा निकाल कर रख देने जैसा है। उस नर्स का दावा है कि ज्यादातर कोविड-19 मरीजों को वेंटिलेटर पर डालकर उनका इलाज नहीं हो रहा है, बल्कि उनकी हत्या की जा रही है। न्यूयॉर्क के अस्पतालों की आंखों देखी बात बताने के लिए उस नर्स ने अपनी एक दोस्त सारा एनपी का सहयोग लिया है, जिसने उस दिल दहला देने वाली बातों को अपनी जुबान में यूट्यूब पर डाला है। सारा एनपी भी एक नर्स हैं, लेकिन वह कोविड-19 के मरीजों के इलाज से अलग है।
मरीजों की हत्याएं हो रही हैं- न्यूयॉर्क की नर्स
वीडियो की ओपनिंग में नर्स सारा एनपी कहती हैं, 'मैं यहां उसकी आवाज बनकरआई हूं। मैं आपको वही बताने जा रही हूं, जो उसने मुझे बताया है। वह चाहती है कि ये बातें सबके सामने आए।' उसने आगे बयां किया है, 'उसने ऐसी लापरवाही कहीं नहीं देखी है। किसी को कोई फिक्र नहीं है। वहां ठंड है और किसी को थोड़ी भी चिंता नहीं है। जैसे अंधा, अंधों की अगुवाई कर रहा है। लोग बीमार हैं, लेकिन वो इसे बीमार नहीं छोड़ रहे हैं। वो उनकी हत्या कर रहे हैं, वो उनकी मदद नहीं कर रहे हैं।' यहां सारा अपनी जिस दोस्त नर्स की आंखों देखी बयां कर रही है, वह कोरोना वायरस के मरीजों की मदद के लिए ही न्यूयॉर्क आई है। उसने अपनी दोस्त के बारे में कहा है, 'उसने हत्या जैसे शब्द इस्तेमाल किए हैं.....मरीजों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है- ये उसके शब्द हैं। लोगों की हत्याएं की जा रही हैं और कोई देखने वाला नहीं है।' अपनी दोस्त की हिफाजत के लिए सारा ने उसके नाम और जिस अस्पताल में वह काम कर रही है उसका नाम गुप्त रखा है।
वेंटिलेटर नहीं, मौत दी जा रही है- नर्स
सारा के मुताबिक कोविड-19 के मरीजों को सीधे वेंटिलेटर पर डाल दिया जाता है, क्योंकि CPAP या BiPAP जैसी हल्की मशीनों से उन्हें वायरस फैलने का डर है। वो कहती है, 'मरीजों को ज्यादा पता नहीं है। उनके साथ परिवार के लोग नहीं होते। उन्हें बताने के लिए उनका वहां कोई अपना नहीं होता। इसलिए, वह घबराए हुए रहते हैं और हामी भर दे देते हैं।.....वेंटिलेटर में बहुत ज्यादा प्रेशर होता है, जिसके चलते बैरोट्रॉमा पैदा होता है, इससे फेफड़े को नुकसान पहुंचता है.....अगर आपने एक बार इसके लिए हामी भर दी तो वहां से निकलकर आना मुश्किल है।' सारा दावा करती हैं कि जब कोई मरीज सांस लेना बंद कर देता है तब भी उसे फिर से कृत्रिम सांस देकर जिंदा करने की कोशिश नहीं की जाती है, क्योंकि वायरस फैलने का खतरा है। इसके अलावा सारा ने अस्पतालों में नर्सों के व्यवहार और कई सारी दूसरी अव्यवस्थाओं को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
वेंटिलेटर के सवाल पर ही एक डॉक्टर काम छोड़ चुके हैं
इससे पहले न्यूयॉर्क के एक अस्पताल में इमरजेंसी रूम में काम करने वाले एक डॉक्टर कैमरॉन किले-सिडेल ने इसी महीने शुरू में एक यूट्यूब वीडियो में कहा था, 'मैंने देश के कई डॉक्टरों से बात की है और अब यह लगभग साफ होता जा रहा है कि जो प्रेशर हम दे रहे हैं, उससे मरीजों के फेफड़ों को नुकसान पहुंच रहा है।...इसकी बहुत ज्यादा संभावना है कि हम जो प्रेशर इस्तेमाल कर रहे हैं उससे मरीजों के फेफड़े को नुकसान पहुंचता है, हम सांस लेने वाले ट्यूब को अंदर डालते हैं....हम गलत तरीके से वेंटिलेटर का इस्तेमाल कर रहे है। ' उन्होंने इलाज का प्रोटोकॉल बदलने की मांग करते हुए कहा था कि 'कोविड पॉजिटिव मरीजों को ऑक्सीजन चाहिए, उन्हें प्रेशर की आवश्यकता नहीं है, उन्हें वेंटिलेटर की जरूर पड़ेगी, लेकिन उसकी प्रोग्रामिंग बिल्कुल अलग तरीके से होनी चाहिए।' यही नहीं वहां जारी इलाज के प्रोटोकॉल का विरोध करते हुए उन्होंने आईसीयू में काम करने से इनकार ही कर दिया।
पैसे उगाही के भी लग चुके हैं आरोप
यानि फ्रंटलाइन में रहकर अपना काम कर रही नर्स ने जो सवाल उठाए हैं, वह नए नहीं है। रिपब्लिकन सीनेटर स्कॉट जेनसेन आरोप भी लगा चुके हैं कि जैसे ही मरीज को वेंटिलेटर पर डाला जाता है अस्पतालों को तीन गुना ज्यादा पैसे मिलते हैं। उन्होंने न्यूयॉर्क में ज्यादा मौतों को भी कमाई की साजिश से जोड़ने की कोशिश की थी। न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रयू कुओमो के मुताबिक वेंटिलेटर पर जाने वाले मरीजों में से 80 फीसदी की मौत हो जाती है। हालांकि, उनका संदर्भ ये था कि जो ज्यादा गंभीर हो जाते हैं, उन्हें ही वेंटिलेटर पर डाला जाता है। लेकिन, एक डॉक्टर और एक नर्स ने न्यूयॉर्क जैसे शहरों के अस्पतालों को लेकर जो सवाल उठाए हैं, वह बहुत ही गंभीर है और जब अमेरिका में इसकी सुध कोई नहीं ले रहा तो विकासशील देशों में क्या होगा, कहना नामुमकिन है।
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