कांग्रेस नेता ने मुशर्रफ का किया समर्थन बोले, जम्मू-कश्मीर के लोग आजाद रहना पसंद करेंगे
Recommended Video
नई दिल्ली। कांग्रेस के दिग्गज वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है जिसमे मुशर्रफ ने कहा था कि कश्मीर को अगर वोट करने का मौका मिलता है तो वह आजाद रहना पसंद करेगा। शोज ने कहा कि मुशर्रफ का यह अंदाजा सही लगता है। आपको बता दें कि शैफुद्दीन सोज यूपीए-1 में केंद्रीय मंत्री थे, उन्होंने अपने आने वाली किताब में कहा है कि केंद्र सरकार को कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए मुख्य दलों के पास जाने से पहले यहां हुर्रियत कॉफ्रेंस के लोगों से बात करनी चाहिए।
हर सरकार ने की गलती
सोज दावा किया है कि 1953 के बाद से कई केंद्र की सरकारों ने यहां बड़ी गलतियां की हैं, जिसमे पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी का भी समय शामिल हैं। शोज की किताब कश्मीर-ग्लिम्प्स ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल में इन तमाम बातों का जिक्र किया है। यह किताब अगले हफ्ते बाजार में आएगी। उन्होंने कहा कि कश्मीर की प्राथमिक समस्या का समाधान केंद्र सरकार के पास है और यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह अपने सही रवैये यहां के लोगों में सुकून जगाए और लोगों के साथ बातचीत शुरू करे।
हुर्रियत से होनी चाहिए बात
रूपा पब्लिकेशन के बैनर तले छप रही शोज की किताब में उन्होंने लिखा है कि अगर केंद्र सरकार को कश्मीर के लोगों से बात करनी है तो उसे इसका फैसला लेना होगा कि वह किस गुट के साथ बात करेगा। मेरी राय में हुर्रियत से बात करनी चाहिए क्योंकि उनकी भूमिका यहां अहम है। अपनी किताब के बारे में बात करते हुए सोज ने मुशर्रफ-वाजपेयी-मनमोहन फॉर्मूले की बात की, जिसमे दोनों देशों के बीच लोगों का आना-जाना होना चाहिए, क्षेत्र में सेना को हटाना चाहिए। उन्होंने पुख्ता सूत्रों के हवाले से कहा कि मुशर्रफ ने अपने शीर्ष साथियों को इस बात के लिए तैयार कर लिया था कि यही एकमात्र समाधान है।
मुशर्रफ का किया समर्थन
सोज अपनी किताब में लिखते हैं कि मुशर्रफ ने अपने साथियों को इस बात के लिए राजी कर लिया था कि यूएन के रिजोल्यूशन ने स्थिति को काफी जटिल कर दिया है कि कश्मीरी भारत के साथ जाएं या पाकिस्तान के साथ। मुशर्रफ कहते हैं कि अगर कश्मीरियों का आजाद होकर वोट करने का मौका मिले तो वह आजाद रहना चाहेंगे। मुझे लगता है कि मुशर्रफ का यह आंकलन आज भी सही है। सोज कहते हैं कि कश्मीर की स्वतंत्रता को खत्म करना सही नहीं था जिसे 1952 में नेहरू-शेख के समझौते के बाद किया गया था।
कश्मीर की समस्या के लिए केंद्र जिम्मेदार
इसके साथ ही सोज ने कहा है कि नेहरू सरकार ने कश्मीर में शेख को असंवैधानिक तरीके से हटाया और उसे गिरफ्तार किया था, जोकि एक बहुत बड़ी गलती थी, जिसे खुद नेहरू ने स्वीकार किया था। लेकिन केंद्र सरकार ने अपनी गलतियों से कुछ नहीं सीखा, इसके बाद इंदिरा-अब्दुल्ला समझौता 1975 में किया गया, जिसमे कहा गया सभी केंद्र के कानून को घाटी में लागू किया जाएगा, जिसे लागू कराने की हिम्मत केंद्र दिखा नहीं सका। इसके बाद एक बार फिर से केंद्र की ओर से बड़ी गलती की गई और फारुक अब्दुल्ला की सरकार को 1984 में हटा दिया गया और राज्यपाल जगमोहन को दोबारा इसकी कमान 1990 में दी गई। ऐसे मे केंद्र सरकार कश्मीर की समस्या के लिए जिम्मेदार है