कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार बोले- राहुल गांधी दुविधा छोड़ कांग्रेस के अध्यक्ष बनें
नई दिल्ली- राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज करने की मांग जोड़ पकड़ने लगी है। अब पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने भी उनसे गुजारिश की है कि वह कांग्रेस में अनिश्तिता के माहौल को खत्म करें। उन्होंने कहा है कि जब से राहुल ने अध्यक्ष पद छोड़ा है, कांग्रेस अपने भविष्य के नेतृत्व को लेकर चर्चा में ही उलझी हुई है, जबकि मौजूदा राजनैतिक माहौल में इस स्थिति को बदलने की आवश्यकता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता अश्विनी कुमार ने राहुल गांधी को मनाने की कोशिश की है कि वो फिर से कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लिए तैयार हो जाएं। उन्होंने कहा है, 'देश में खराब होती राजनीतिक स्थिति और भाजपा के खिलाफ मजबूत विपक्ष की जरूरत के मद्देनजर कांग्रेस की भूमिका को ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी के लिए आवश्यक है कि वे दुविधा छोड़ कांग्रेस के अध्यक्ष पद को स्वीकार कर अनिश्चितता दूर करें।'
Ashwini Kumar, Congress: Considering the deteriorating political situation in the country & the role that Congress is expected to perform in galvanizing the opposition against BJP, it is necessary for Rahul Gandhi to shed any ambivalence & assume the office of Congress president. https://t.co/qXqSjiLzjS
— ANI (@ANI) March 1, 2020
उन्होंने कहा है कि 'जब से राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है, कांग्रेस में इसके भविष्य के नेतृत्व के मुद्दे को लेकर चर्चा चल रही है। उस समय भी, पार्टी में इस बात को लेकर आम सहमति थी कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहिए।'
एक इंटरव्यू में उन्होंने ये भी कहा है कि, 'भविष्य की लीडरशिप को लेकर अनिश्चितता दूर करना जरूरी है। पहले ही देरी हो चुकी है। जरूरी हो तो राहुल गांधी को नेतृत्व करने के लिए निर्देश दिया जा सकता है।'
कुमार ने भरोसा जताया कि पहले कई चुनावों में हार के बावजूद राहुल गांधी को एक और मौका दिया ही जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि सोनिया गांधी से राहुल को कमान लेने पर पार्टी में लगभग आम राय है। हालांकि, पार्टी में उठ रहे सांगठनिक चुनावों की मांग को उन्होंने खारिज कर दिया। उनके मुताबिक इसके लिए सबसे बेहतर जरिया आम सहमति ही है।
कुमार को लगता है कि कांग्रेस में जब तक गांधी परिवार सक्रिय रहेगा, उसमें उसकी केंद्रीय भूमिका बरकरार रहेगी और राहुल फिर भी नहीं माने तब भी चुनाव से नहीं आम सहमति से ही नेता चुनाव जाना चाहिए।
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