वीर्य के गुब्बारे: होली के बहाने अपनी नपुंसकता दिखाते 'मर्द'
लड़कियों पर वीर्य से भरे गुब्बारे फेंकना का ये पहला मामला नहीं था, कुंठित मानसिकता के लोग सालों से ऐसा करते आ रहे हैं।
नई दिल्ली। भले ही होली एक समय रंग और मस्ती का त्योहार हुआ करता था लेकिन आज कुछ हुड़दंगियों की वजह से होली डर का त्योहार बन गया है। दिल्ली में होली से पहले डीयू की छात्राओं पर वीर्य से भरे गुब्बारे फेंकने जैसी घटनाएं देखने से तो यही लगता है। 24 फरवरी को दिल्ली के अमर कॉलोनी इलाके में एक छात्रा पर वीर्य से भरा गुब्बारा फेंका गया। जब इस घटना को उसने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया तो होली और हुड़दंगई की एक घिनौनी तस्वीर सामने आई। लड़कियों पर वीर्य से भरे गुब्बारे फेंकना का ये पहला मामला नहीं था, कुंठित मानसिकता के लोग सालों से ऐसा करते आ रहे हैं।
मर्दों की कुंठित सोच दिखाती है ये हरकत
दिल्ली में सिर्फ लेडी श्रीराम ही नहीं, बल्कि जीसस एंड मैरी कॉलेज की छात्रा पर भी वीर्य से भरे गुब्बारे फेंके गए। छात्रा बस स्टॉप पर अपनी बस का इंतजार कर रही थी कि तभी कुछ लड़के आए और उसकी छाती पर गुब्बारा फेंककर चले गए। हैरानी की बात ये है कि वहां मौजूद लोगों ने छात्रा को देखकर कहा, 'बुरा न मानो, होली है।' 'बुरा न मानो, होली है', इसी एक जुमले से लोग सालों से इस त्योहार की आड़ में लड़कियों को परेशान करते आ रहे हैं। होली है तो बुरा मत मानो, क्योंकि लड़के हैं गलती हो जाती है। इन कुछ मर्दों को लगता है कि ये होली में मस्ती का तरीका है लेकिन होली के बहाने ये मर्द मस्ती नहीं कर रहे, बल्कि अपनी नपुंसकता दिखा रहे हैं। लड़कियों पर फेंके गए वीर्य के गुब्बारे लोगों की घटिया और कुंठित सोच दिखाते हैं। ये लोग उस सोच का हिस्सा हैं जो ये समझते हैं कि महिलाएं केवल वस्तु हैं और वो किसी भी तरह से उनके साथ पेश आ सकते हैं। ऐसा नहीं है, न महिलाएं वस्तु हैं न किसी को उनके साथ किसी भी तरह से पेश आने का अधिकार है।
अभी तक केवल लड़कियों को ही समझा रहे हैं हम
होली आते ही इन मर्दों की ये छिछोरी हरकतें शुरू हो जाती हैं। होली के एक हफ्ते पहले से ही उनपर पानी और रंगों के गुब्बारे फेंके जाते हैं। और अब तो ये इससे चार कदम आगे बढ़ गए हैं। अब होली से पहले लड़कियों पर पानी के नहीं, बल्कि वीर्य के गुब्बारे फेंके जा रहे हैं। मतलब घटियापन की हद हो गई है और आखिर में लड़कियों को ही कहा जाता है कि वो सड़क पर निकलने से पहले ध्यान रखें। जरूरत न हो तो ना ही निकलें। होली के दिन तो खासतौर पर घर में रहें। भारत में पली-बढ़ी हर लड़की ने इन बातों का सामना अपने जीवन में एक न एक बार तो जरूर किया होगा। बचपन में जहां लड़कियां होली का ये त्योहार खूब मस्ती से मनाती हैं, बड़े होने के बाद उन्हें घर में रहने की नसीहत दी जाती है। सबसे खराब बात तो ये है कि होली पर छेड़छाड़ की घटनाएं सालों से होती आ रही हैं लेकिन तब भी हमने केवल लड़कियों को सावधानी बरतना सिखाया। शायद ही किसी ने लड़कों को कहा होगा कि होली का त्योहार रंग और खुशियों का त्योहार है और ये किसी को भी छेड़ने का अधिकार नहीं देता।
दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं अपराध
होली में बुरा न मानो कहकर कोई लड़का किसी भी लड़की को नहीं छेड़ सकता। होली ही क्यों, कोई भी त्योहार, कोई भी चीज किसी लड़के को लड़कियों को छूने और छेड़ने का अधिकार नहीं देती। दिल्ली में लड़कियों के खिलाफ अपराध रोजाना बढ़ते जा रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली में एक बस में एक व्यक्ति लड़की को देखकर मास्टरबेट करने लगा। भरी भीड़ में इस व्यक्ति की इतनी हिम्मत हो गई कि वो लड़की को देखकर मास्टरबेट करने लग गया। वहीं चंडीगढ़ में भी नशे में धुत्त एक युवक दो महिला पुलिस कांस्टेबल को देखकर मास्टरबेट कर रहा था। ये घटनाएं कुछ मर्दों की घटिया सोच का परिचय देती हैं। ये घटनाएं दिखाती हैं कि वो ये मानकर बैठे हैं कि महिलाओं पर उनका पूरा अधिकार है।
संभाल कर रखिये अपनी 'मर्दानगी'
ऐसा लगता है कि कुछ लोग वीर्य से भरा गुब्बारा किसी राह चलती लड़की पर फेंककर इसे अपनी 'मर्दानगी' से जोड़ लेते है, उन्हें लगता है कि लड़के हैं और होली है तो इतना तो इतना तो 'चलता है' होली पर तो हुड़दंग होता ही है। हां होली पर हुड़दंग होता है लेकिन ये हुड़दंग करना, एक-दूसरे पर रंग डालना, नाचना-गाना तो दिल के मैल मिटाने के लिए होता है ना कि अपनी यौन कुंठा मिटाने के लिए... तो होली है रंगों से खेलिए, 'मर्दानगी' को संभाल कर रखिए।