Sela Tunnel: 1962 में चीन ने जहां बदली थी युद्ध की सूरत, वहीं भारत ने जुटा ली रणनीतिक ताकत, डिटेल देखिए
तवांग, 14 अक्टूबर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अरुणाचल प्रदेश में बन रही सेला सुरंग के ब्रेकथ्रू ब्लास्ट की अध्यक्षता की है। यह सुरंग रणनीतिक तौर पर बेहद खास चीन की सीमा पर बन रही है और उम्मीद है कि अगले साल तैयार होते ही उस इलाके में भारत रणनीतिक तौर पर अपनी सेना की आवाजाही में काफी तेजी लाने में सक्षम हो जाएगा। गौरतलब है कि लद्दाख की तरह अरुणाचल प्रदेश भी वह क्षेत्र है, जिसपर ड्रैगन की खौफनाक नजर हमेशा से रही है। अरुणाचल प्रदेश का सेला वही इलाका है, जहां चीन की सेना की चालबाजियों के बाद युद्ध की तस्वीर ही बदल गई थी।
स्नो-लाइन से काफी नीचे बन रही है सुरंग
13,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित, 317 किलो मीटर लंबा बालीपारा-चारदुआर-तवांग (बीसीटी) रोड पर सेला दर्रा अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग, पूर्वी कामेंग और तवांग जिलों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। सेला सुरंग के तैयार होने पर यह यात्रा छोटी हो जाएगी और तवांग को सभी मौसमों में कनेक्टिविटी मिल जाएगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि 'यह अत्याधुनिक सुरंग तवांग ही नहीं बल्कि, पूरे राज्य के लिए जीवन रेखा साबित होगी।' सेला सुरंग भारत के नजरिए से इसलिए अहम है, क्योंकि यहां की वजह से 1962 के युद्ध की टीस आज भी परेशान करती है। इस अनोखी सुरंग का निर्माण नए ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से हो रहा है, जिसके जरिए स्नो-लाइन से काफी नीचे सुरंग बनाई जा रही है, ताकि बर्फ हटाने जैसी चुनौती ही ना रह जाए।
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10 किली मीटर कम हो जाएगी सीमा की दूरी
सेला सुरंग की विशेषताओं की बात करें तो यह सेला दर्रे से होकर गुजरता है और इसके तैयार होने पर तवांग के रास्ते चीन की सीमा की दूरी 10 किलो मीटर कम हो जाएगी। यह सुरंग सीमा पर अरुणाचल के तवांग और पश्चिम कामेंग जिलों के बीच स्थित है। सेला सुरंग प्रोजेक्ट में दो सुरंगें शामिल हैं। सुरंग-एक 980 मीटर लंबी है, जबकि सुरंग-दो एक ट्विन ट्यूब टनल है, जो 1,555 मीटर लंबी है। इस सुरंग के तैयार होने पर असम के तेजपुर स्थित सेना की चौथी कोर मुख्यालय और तवांग के बीच की दूरी भी एक घंटे कम हो जाएगी। सेला सुरंग का निर्माण कार्य जून, 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है।
हर मौसम लायक होगी तवांग की कनेक्टिविटी
सेला सुरंग तैयार होने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग-13 के खासकर बोमडिला और तवांग के बीच के 171 किलो मीटर की दूरी हर मौसम में इस्तेमाल किए जाने लायक बन जाएगी। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। इस सुरंग के निर्माण पर 687 करोड़ रुपये की लागत आएगी। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा है, 'इससे (सेला सुरंग) सिर्फ सुरक्षा ही नहीं मजबूत होगी, बल्कि यह दूर-दराज इलाकों को जोड़ेगा, जिससे पश्चिम अरुणाचल के लोगों को सुविधा होगी। इससे पर्यटन भी बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था भी तरक्की करेगी।'
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1962 नहीं, यह 2021 का भारत है
1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था, तब सेला पर कब्जे के बाद ही पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) युद्ध की सूरत बदलने में कामयाब हो गई थी। अब भारत वहां तेजी से अपनी सेना को सड़क मार्ग से पहुंचाने में सक्षम हो रहा है। सुरंग की मेन ट्यूब का सफल विस्फोट इसके उत्खनन के अंत का प्रतीक है। प्रोजेक्ट की 980 मीटर लंबी दूसरी सुरंग पर काम पहले ही 700 मीटर से ज्यादा हो चुका है। पूरा होने पर 1.5 किलोमीटर से अधिक लंबी यह सुरंग 13,800 फीट से अधिक की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी बाई-लेन रोड सुरंगों में से एक होगी। (तस्वीरें- रक्षा मंत्री की ओर से शेयर वीडियो से)