छत्तीसगढ़: सारकेगुडा एनकाउंटर की जांच में सुरक्षाबलों पर लगा दाग, जो 17 लोग मारे गए थे उनके नक्सली होने के सबूत नहीं
रायपुर। जून 2012 में छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले हुए चर्चित सारकेगुडा एनकाउंटर की रिपोर्ट सामने आयी है। सारकेगुडा एनकाउंटर में सुरक्षाबलों के जवानों के साथ हुई मुठभेड़ में 17 स्थानीय लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में 6 बालिग भी थे। रिपोर्ट के अनुसार, गांव वालों द्वारा कोई भी फायरिंग नहीं की गई थी। इसके साथ ही इस बात के भी सबूत नहीं मिले हैं कि वो लोग माओवादी थे। रिपोर्ट के अनुसार, गांव वालों को प्रताड़ित किया गया और फिर बाद में उन्हें मार दिया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि सुरक्षाबलों ने शायद घबराकर फायरिंग कर दी थी, वहीं एक पीड़ित को सुबह के वक्त गोली मारी गई।
आपको बता दें कि एनकाउंटर के बाद सुरक्षाबलों ने दावा किया था- उन्हें सूचना मिली थी कि सारकेगुड़ा में माओवादियों की बैठक चल रही है। बैठक में शामिल लोगों की तरफ से गोलीबारी की गई. जवाब में जवानों ने भी फायरिंग की। इंडियन एक्सप्रेस ने घटना के बाद CRPF IG (ऑपरेशन) पंकज कुमार सिंह का बयान छापा था। उन्होंने कहा था,सिल्गर में एक नक्सल ट्रेनिंग कैंप का भांडाफोड़ करने सिक्योरिटी फोर्सेज की टीम जा रही थी।
सारकेगुड़ा में नक्सलियों ने फोर्सेज पर गोलीबारी की। यह देर रात करीब 12.45 बजे हुआ। टीम सुबह में फिर से वहां गई और जाकर शवों को निकाला। ग्रामीणों ने उनमें से कुछ को नक्सली के रूप में पहचाना और कुछ की पहचान जन मिलिशिया मेंबर के रूप में हुई। गोलीबारी में कुछ निर्दोष ग्रामीणों की मौत हो सकती है। 11 जुलाई, 2012 को तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने इस घटना के न्यायिक जांच के आदेश दिए थे। छत्तीसगढ़ सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि अब रिपोर्ट आने के बाद इस रिपोर्ट को कैबिनेट में रखा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा।