चंद्रबाबू की बढ़ीं मुश्किलें, जगन रेड्डी ने घटाई नायडू के परिवार की सिक्योरिटी
अमरावती। आंध्र प्रदेश की सत्ता से विदाई के बाद चंद्रबाबू नायडू का मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के बाद अब उनके परिवार की सुरक्षा घटाने का फैसला किया है। बेटे नारा लोकेश को मिली जेड श्रेणी की सुरक्षा को हटा लिया गया है। पूर्व मंत्री नारा लोकेश की सुरक्षा को 5+5 से घटाकर 2+2 कर दिया गया है। इसके अलावा परिवार के दूसरे सदस्य की सिक्यॉरिटी पूरी तरह हटा दी गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री को शुक्रवार देर रात तलाशी से गुजरना पड़ा था
इससे पहले जून के दूसरे हफ्ते में आंध्र प्रदेश के गन्नवरम हवाई अड्डे पर पूर्व मुख्यमंत्री को शुक्रवार देर रात तलाशी से गुजरना पड़ा था। नायडू को विमान तक जाने के लिए वीआईपी सुविधा से भी वंचित कर दिया गया। उन्हें अन्य लोगों की तरह सामान्य बस में प्लेन तक सफर करना पड़ा था। इस दौरान उनकी चैकिंग की एक फोटो सामने आई थी। 2003 में तिरुपति के अलीपीरी में माओवादियों द्वारा हमला किए जाने के बाद नायडू को जेड + श्रेणी की सुरक्षा (23 सशस्त्र सुरक्षा पुरुषों और एस्कॉर्ट वाहनों द्वारा 24 घंटे सुरक्षा ) दी गई थी।
जगन मोहन रेड्डी ने 'प्रजा वेदिका' इमारत को तोड़ने का आदेश दिया
इससे अलावा इससे मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने 'प्रजा वेदिका' इमारत को तोड़ने का आदेश दिया है। इसी इमारत में पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू रह रहे हैं। जगनमोहन के आदेश के अनुसार मंगलवार से इमारत तोड़ने का काम शुरू हो जाएगा। बीते दिनों चंद्रबाबू नायडू ने जगनमोहन रेड्डी को चिट्ठी लिखकर 'प्रजा वेदिका' को नेता प्रतिपक्ष का सरकारी आवास घोषित करने की मांग की थी। सरकार ने शनिवार को एन. चंद्रबाबू नायडू के अमरावती स्थित आवास प्रजा वेदिका को अपने कब्जे में ले लिया। टीडीपी ने इसे बदले की कार्रवाई करार दिया है।
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इस आवास का इस्तेमाल नायडू आधिकारिक कामों के लिए करते थे
बता दें कि प्रजा वेदिका का निर्माण सरकार ने आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एपीसीआरडीए) के जरिए तत्कालीन मुख्यमंत्री आवास के एक विस्तार के रूप में किया था। पांच करोड़ रुपये में निर्मित इस आवास का इस्तेमाल नायडू आधिकारिक उद्देश्यों के साथ ही पार्टी की बैठकों के लिए करते थे। नायडू ने इस महीने के प्रारंभ में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को पत्र लिखकर इस ढाचे का उपयोग बैठकों के लिए करने देने की अनुमति मांगी थी। जगन ने उसी परिसर में जिला कलेक्टरों का सम्मेलन बुलाकर अपने निर्णय की घोषणा की। यह बताते हुए कि प्रजा वेदिका तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए कराया गया निर्माण है, रेड्डी ने घोषणा की कि उनकी सरकार का अवैध ढांचों के खिलाफ अभियान इस ढांचे के विध्वंस के साथ शुरू होगा।
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