Bill Gates की मदद से कोरोना वायरस की दूसरी वैक्सीन तैयार, इंसानों पर ट्रायल शुरू
नई दिल्ली- इस वक्त कोरोना वायरस सबसे ज्यादा अमेरिका को अपनी गिरफ्त में लिए हुए है और वहां के वैज्ञानिक दिन-रात इसकी दवा और वैक्सीन खोज निकालने में लगे हुए हैं। ऐसे में वहां के एक छोटे से बायोटेक फर्म को टीके के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी मिली है और उस फर्म ने नई वैक्सीन को इंसानों पर आजमाना शुरू भी कर दिया है। गौरतलब है कि इस फर्म को बिल गेट्स ने टीका बनाने के लिए फंडिंग की हुई है। इस फर्म ने सोमवार को पहली बार मानव पर इस वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया है। इससे पहले अमेरिका की ही एक और और कंपनी इस तरह के प्रयास शुरू कर चुकी है। नई वैक्सीन तैयार करने वाली कंपनी का दावा है कि साल के अंत तक वह इस वैक्सीन की 10 लाख डोज तैयार कर लेगी।
कोरोना की दूसरी वैक्सीन तैयार, इंसानों पर ट्रायल शुरू
अमेरिका की एक छोटी सी बायोटेक फर्म को कोरोना वायरस की दूसरी वैक्सीन की क्लिनिकल टेस्टिंग की इजाजत मिल गई है। अमेरिका के पेंसिल्वेनिया स्थित इनोवियो फार्मास्यूटिकल्स नाम की इस बायोटेक कंपनी को ये मंजूरी अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मिली है। बिजनेस इंसाइडर के मुताबिक मंजूरी मिलते ही इस फर्म के शोधकर्ताओं ने इंसानों पर नई वैक्सीन की टेस्टिंग सोमवार से शुरू कर दी है। इस फर्म को बिल गेट्स और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और एपिडमिक प्रेपेयर्डनेस इनोवेशनंस ने साझा तौर पर फंडिंग की हुई है। INO-4800 नाम की इस वैक्सीन को अमेरिका का इंसानों के लिए सक्षम दूसरी कोरोना वायरस वैक्सीन माना जा रहा है। इससे पहले मैसाचुसेट्स बायोटेक मॉडर्न ने मार्च के मध्य में इसकी इंसानों पर टेस्टिंग शुरू की थी।
साल के अंत तक 10 लाख डोज तैयार करेगी कंपनी
इनोवियो फार्मास्यूटिकल्स ने फिलहाल इस वैक्सीन की पड़ताल के लिए 40 स्वस्थ्य लोगों की पहचान कर रखी है। ये लोग पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल ऑफ फिलाडेल्फिया के साथ ही मिसौरी के कनास सिटी के फार्मास्यूटिकल रिसर्च के वॉलेंटिर्स हैं। इनमें से हर वॉलेंटियर को वैक्सीन की दो-दो खुराक चार हफ्तों तक दी जाएगी। कंपनी को उम्मीद है कि गर्मी तक सेफ्टी रिजल्ट आने लगेंगे और अगर परिणाम सकारात्मक रहे तो कंपनी जल्द ही वायरस के खिलाफ इसकी क्षमता को लेकर आगे की स्टडी शुरू कर देगी। कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन की मांग को देखते हुए कंपनी ने अभी से उसकी तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इनोवियो के मुताबिक वह अब अपनी उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाने की कोशिशें कर रही है और उसका प्रयास है कि इस साल के अंत तक 10 लाख डोज तैयार कर ले। कंपनी के मुताबिक सब कुछ सही रहा था तो इस वैक्सीन का इस्तेमाल इमरजेंसी में भी किया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों ने कहा कम से कम एक साल लगेगा
हालांकि, एक अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. एंथनी एस फॉसी, जो कि वहां के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ्स इंफेक्सियस डिजिज यूनिट के लंबे वक्त तक अगुवा रहे हैं ने कहा है कि कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल की जाने लायक कोई भी वैक्सीन कितना कारगर और सुरक्षित है यह जानने में कम से कम एक साल का वक्त लगेगा। वैसे कंपनी बार-बार दावा कर रही है कि उसके रिसर्च के बहुत जल्द सकारात्मक परिणाम दिखने लगेंगे।
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