भारत ने K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का किया सफल परीक्षण, एक सप्ताह में दूसरी बार किया ये कारनामा
नई दिल्ली। भारत को आंख दिखाने वाले देशों को आज बड़ा झटका लगा है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ते हुए भारत ने शुक्रवार को दूसरी बार शक्तिशाली के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। बता दें के एक सप्ताह में भारत ने ये दूसरी बार सफल परीक्षण किया है। आंद्र प्रदेश के समुद्री तट से दागी गई मिसाइल की मारक क्षमता 3,500 किलीमीटर है। इस मिसाइल को पनडुब्बी से लॉन्च कर दुश्मन को ठिकाने लगाया जा सकता है।
गौरतलब है कि हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारत ने समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाने का फैसला किया है। चीन को सबक सिखाने के लिए भारत लगातार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है। इससे पहले के-4 का सफल परीक्षण रविवार को किया था। इस मिसाइल की जद में चीन और पाकिस्तान जैसे देश आते हैं। सूत्रों ने बताया कि समुद्र में पानी के अंदर बने प्लेटफॉर्म से मिसाइल का परीक्षण किया गया। इस मिसाइल का निर्माण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारत में ही किया है।
Government Sources: For the second time in the last six days, India, today successfully test-fired the 3,500 km strike range K-4 submarine-launched ballistic missile off the coast of Vishakhapatnam.The DRDO-developed missile was testfired from an underwater platform today morning pic.twitter.com/nerLhPDZqp
— ANI (@ANI) January 24, 2020
के-5
बनाने
की
भी
हो
रही
तैयारी
सूत्रों
से
मिली
जानकारी
के
मुताबिक
इस
शक्तिशाली
मिसाइल
को
परमाणु
शक्ति
से
लैस
पनडुब्बियों
में
तैनात
किया
जाएगा।
प्राप्त
जानकारी
के
मुताबिक
अभी
इन
मिसाइलों
का
और
परीक्षण
किया
जाना
है।
मालूम
हो
कि
भारतीय
नौसेना
के
पास
परमाणु
शक्ति
से
लैस
एक
पोत
है
जो
कि
परिचालन
में
है।
सूत्रों
ने
दावा
किया
कि
के-4
बैलिस्टिक
मिसाइल
किसी
भी
एंटी-बैलिस्टिक
मिसाइल
डिफेंस
सिस्टम
को
ट्रैक
कर
नष्ट
कर
सकती
है।
डीआरडीओ
के
वैज्ञानिक
के-4
के
सफल
परीक्षण
के
बाद
के-5
भी
बनाने
वाले
हैं।
इसकी
मारक
क्षमता
पांच
हजार
किमी
होगी।
जानकारी
के
मुताबिक,
पिछले
दो
सालों
में
कई
असफल
प्रयासों
के
बाद
मिसाइल
का
परीक्षण
किया
गया।
पिछले
साल
नवंबर
में
भी
इसका
परीक्षण
होने
वाला
था।
लेकिन
बंगाल
की
खाड़ी
में
आए
चक्रवाती
तूफान
बुलबुल
की
वजह
से
परीक्षण
स्थगित
करना
पड़ा।