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छर्रे से गई आंख लेकिन हौसला नहीं हारी इंशा

ये कहानी एक कश्मीरी लड़की की है जिसने दहशत और शारीरिक अक्षमता को पीछे छोड़ दिया है.

By BBC News हिन्दी
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इंशा मुश्ताक़
BILAL BAHADUR/BBC
इंशा मुश्ताक़

मंगलवार को भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में 10वीं के नतीजों का एलान किया गया. इसमें 62 फ़ीसदी छात्र पास हुए हैं. इसमें दक्षिण कश्मीर के शोपियां की इंशा मुश्ताक़ भी हैं. लेकिन इंशा की कहानी बाकी पास हुए छात्रों से बहुत अलग है.

16 वर्षीय इंशा की आंखों की रोशनी 2016 में छर्रे लगने से चली गई. इंशा ने उस दहशत और शारीरिक अक्षमता को पीछे छोड़ते हुए 10वीं की परीक्षा पास की है.

छर्रे लगने के बाद उनकी जिंदगी में आए बहुत बड़े बदलाव पर इंशा कहती हैं कि उन्हें इस दौरान बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

वो कहती हैं, "छर्रे लगने के बाद मुझे बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा. पहले स्कूल में मुझे सब कुछ एक बार में ही याद रहता था. लेकिन छर्रे लगने के मुझे टीचर से चार बार पूछना पड़ता है, तब जाकर मुझे याद रहता है, कभी कभी तो मैं भूल भी जाती हूं."

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इंशा मुश्ताक़
BILAL BAHADUR/BBC
इंशा मुश्ताक़

पैलेटगन से गई आँखों की रोशनी

बुरहान वानी की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद करीब छह महीने के दौरान भारत विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में 80 से अधिक नागरिक मारे गए जबकि हज़ारों घायल हुए थे. कई लोग पैलेटगन से घायल हो गए थे और इनमें से कई लोगों की आँखों की रोशनी चली गई थी.

आज इंशा के घर में उत्साह का माहौल है. इंशा को कई दोस्तों ने मुबारकबाद दी है. इस कामयाबी के बाद इंशा का घर खुशियां मना रहा है लेकिन उनके इस सफलता तक पहुंचने की राह आसान नहीं थी.

छर्रे लगने के बाद इंशा के दिल्ली और मुंबई में तीन ऑपरेशन करवाए गए. इंशा को आज भी दूसरों का हाथ पकड़ कर चलना पड़ता है. वो कहती हैं, "पास होने पर मेरे दोस्तों ने मुबारकबाद दी है."

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इंशा मुश्ताक़
BILAL BAHADUR/BBC
इंशा मुश्ताक़

गणित की परीक्षा फिर से देंगी इंशा

इंशा कहती हैं, "मुझे अपने पापा से अपने रिजल्ट का पता चला है. किसी ने उनको फ़ोन पर बताया, जिसके बाद मेरे कई दोस्तों ने मुझे मुबारकबाद दी है. मैं बहुत खुश हूँ. अल्लाह का शुक्र है."

इंशा को कुछ महीने बाद गणित की परीक्षा फिर से देनी है. हालांकि वो 11वीं में दाखिला ले सकती हैं.

उन्होंने गणित की जगह संगीत का विषय लिया था और 10वीं की परीक्षा में उसी पर्चे को लिखा था.

वो कहती हैं, "जितने अंक आए हैं, मैं उससे ज़्यादा की उम्मीद कर रही थीं."

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ज़ख्म पर लगा थोड़ा मरहम

इंशा के पिता मुश्ताक़ अहमद काफी खुश हैं कि उनकी बेटी ने मुश्किलों में वह सब किया जो मुमकिन नहीं था.

वो कहते हैं, "मुझे तो खुद भी उम्मीद नहीं थी कि इंशा दसवीं की परीक्षा में पास हो सकती है, लेकिन उसने किया. मुझे बहुत ज़्यादा ख़ुशी हो रही है. लोगों के फ़ोन लगातार आ रहे हैं और सब मुबारकबाद दे रहे हैं. हम बहुत खुश हैं. इंशा ने पास किया तो एक ज़ख्म पर थोड़ा मरहम हो गया."

इंशा के पर्चे लिखने के लिए स्कूल बोर्ड प्रशासन ने दसवीं से कम जमात में पढ़ने वाले छात्र को रखा गया था. इंशा के बताने पर वह छात्र पर्चे लिखता था.

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर फारुक ने भी ट्वीट के जरिये इंशा को दसवीं की परीक्षा पास करने की बधाई दी है.

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English summary
Scratched eyes but not frustrated Insha
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