चांद पर छुट्टियां मना सकेगा इंसान, जानिए कितने साल बाद
नई दिल्ली- अगर आप युवा हैं तो आप अपने नाती-पोतों के साथ चांद पर छुट्टियां मनाने की योजना बना सकते हैं। ये सिर्फ कहने वाली बात नहीं है, बल्कि वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च के बाद 'लूनर टूरिज्म' की संभावना तलाश ली है, जो कि अब से लगभग 50 वर्ष बाद संभव होने वाला है। यह दावा स्पेसफेयरिंग नेशन्स के वैज्ञानिकों ने स्विटजरलैंड में आयोजित वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑफ साइंस जर्नलिस्ट में किया है।
'मून एंड बियोंड' कॉन्फ्रेंस में ये देश हुए शामिल
'मून एंड बियोंड' नाम से आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में अंतरिक्ष में खोज से जुड़े अमेरिका, यूरोप, रूस और चीन के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। फिलहाल इनकी अगली योजना में चांद पर एक महिला अंतरिक्ष यात्री को भेजने से लेकर रोबोट भेजने तक की तैयारी है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक नासा और ईएसए (यूरोपियन स्पेस एजेंसी) जैसे संगठन अपने अगले मिशन को अंजाम देने के लिए कॉमर्शियल पार्टनरशिप और जानकारों की सहयोग लेने की भी सोच रहे हैं। दोनों एजेंसियां अभी उस गेटवे पर काम कर रही हैं, जो चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है एक स्पेस स्टेशन है। यहां 2024 से काम शुरू होने वाला है, जब नासा चांद पर फिर अपना मानव मिशन भेजने वाला है।
50 साल में चांद पर वैकेशन संभव
भारत अभी पहला मानव मिशन चांद पर भेजने की सोच ही रहा है, लेकिन इन देशों के वैज्ञानिकों ने चांद पर आम लोगों के जाने-आने की योजनाओं पर काम करना शुरू भी कर दिया है। वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑफ साइंस जर्नलिस्ट में एक रूसी वैज्ञानिक अनातोली पेत्रुकोविच ने दावा किया है कि, "50 सालों में चांद पर ज्यादा टूरिस्ट पहुंचेंगे, जो कि एक रसॉर्ट के जैसा होगा।" पेत्रुकोविच रसियन एकैडमी ऑफ साइंसेज के स्पेस रिसर्च इंस्टीट्यूट में डायरेक्टर हैं। चीन के वैज्ञानिक वू जी ने भी इन दावों की तस्दीक की है। उन्होंने कहा है कि आधी सदी के बाद यह बहुत बड़े पैमाने पर संभव होता नजर आएगा। चाइनीज एकैडमी ऑफ साइंसेज के नेशनल स्पेस साइंस सेंटर के डायरेक्टर वू जी के मुताबिक, "मुझे नहीं लगता कि सरकारें स्थायी मानवीय मिशन पर खर्च करेंगी, क्योंकि राजनीतिक कारणों से तो यह बेकार है। विज्ञान के लिए आप जाइए, वहां कुछ कीजिए और वापस चले आइए।" उन्होंने आगे कहा, "लोग वहां जाएंगे, छुट्टियां मनाएं और वापस लौट आएंगे। लेकिन, होटल के स्टाफ वहीं रहकर काम करेंगे। इसलिए 50 साल में चांद पर स्थायी मानवीय निवास की संभावना है।" इसपर पहले वाले वैज्ञानिक ने पूछा कि क्या होटलों के स्टाफ रोबोट होंगे, तो दूसरे ने कहा कि ऐसा कत्तई जरूरी नहीं है।
चांद पर इस भाषा में होगी बात
कांफ्रेंस में शामिल वैज्ञानिकों का कहना था कि चांद की यात्रा करने की रेस में शामिल तो सभी होना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए सभी एक-दूसरे के सहयोगी भी बने रहना चाहते हैं। नासा के एक वैज्ञानिक ने खुद से ही एक सवाल पूछा कि चांद की यात्रा करने वाले सैलानी किस भाषा में बात करेंगे? इसका जवाब भी उन्होंने खुद ही दिया, "जो सच में मैं देख रहा हूं कि एक चिप है, जिसे मैं अपनी कान में डाल सकता हूं और आप चाइनीज बोलेंगे तो मुझे अंग्रेजी सुनाई देगी, मैं अंग्रेजी बोलूंगा और आपके पास भी वैसा ही चिप होगा और आपको चाइनीज सुनाई पड़ेगी।" यानी, "सांस्कृतिक मसले रह सकते हैं, लेकिन भाषा कोई समस्या नहीं रहेगी।" थॉमस एच जुरबुचेन नासा के साइंस मिशन डायरेक्टोरेट में एसोशिएट एडमिनिस्ट्रेटर हैं।