SC ने सरकार से पूछा-आखिर कब तक महबूबा मुफ्ती को नजरबंद रखा जाएगा?
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती की रिहाई पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें SC ने सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से पूछा कि कब तक और किस आदेश के तहत केंद्र सरकार महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखना चाहती है, यही नहीं कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा द्वारा दायर आवेदन पर एक हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा है।
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'कब तक महबूबा मुफ्ती को नजरबंद रखना चाहती है केंद्र सरकार'
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बेटी इल्तिजा मुफ्ती और उनके भाई को महबूबा मुफ्ती से हिरासत में मिलने की अनुमति दी है, कोर्ट ने कहा कि किसी को भी हमेशा हिरासत में नहीं रखा जा सकता और कोई बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए, कोर्ट ने कहा कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को पार्टी की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए अधिकारियों से अनुरोध करना चाहिए। आपको बता दें कि महबूबा मुफ्ती 5 अगस्त, 2019 से नजरबंद हैं।
मां की रिहाई के लिए बेटी इल्तिजा ने दायर की है याचिका
महबूबा मुफ्ती की हिरासत के खिलाफ उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। इल्तिजा ने याचिका में जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखने को चुनौती देते हुए उनकी रिहाई की मांग की है, बीते हफ्ते इल्तिजा ने ये याचिका दायर की थी, जिस पर आज सुनवाई हुई है।
मां को हिरासत में रखना गैरकानूनी है:इल्तिजा
महबूबा मुफ्ती की हिरासत के खिलाफ उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। इल्तिजा ने याचिका में जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत महबूबा मुफ्ती को हिरासत में रखने को चुनौती देते हुए उनकी रिहाई की मांग की है, इल्तिजा ने याचिका में कहा है कि उनकी मां को हिरासत में रखना गैरकानूनी है क्योंकि उन पर कोई मुकदमा नही हैं और उनको एक साल से अधिक समय से हिरासत में रखा गया है, ये जानबूझकर उनको पार्टी कार्यकर्ताओं से दूर रखने और अपने काम ना करने देने के लिए किया जा रहा है।
'आधिकारिक निवास फेयरव्यू बंगले में नजरबंद हैं मुफ्ती'
गौरतलब है कि महबूबा मुफ्ती पिछले एक साल से भी ज्यादा वक्त से अपने आधिकारिक निवास फेयरव्यू बंगले में नजरबंद हैं। पीएसए के तहत उनको नजरबंद रखा गया है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ती से पहले जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला सहित कई नेताओं को नजरबंद कर लिया गया था। हाल ही में फारुख और उमर अब्दुल्ला को छोड़ दिया गया लेकिन महबूबा अभी भी नजरबंद हैं।
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