छत्तीसगढ़ सरकार ने वापस लिया एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन लागू करने का सर्कुलर
नई दिल्ली। एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए बदलावों से केंद्र सरकार सहमत नहीं है और सरकार ने कोर्ट से आदेश वापस लेने की अर्जी लगाई है। वहीं दूसरी तरफ भाजपा शासित राज्य इन निर्देशों को अमल में लाने के लिए काफी जल्दी में दिख रहे हैं। भाजपा की सरकारों वाले तीन राज्यों ने पुलिस को आदेश जारी कर दिए हैं कि वो एससी/एसटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की नई गाईडलाइन को सख्ती से लागू करे। हालांकि बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे वापस ले लिया और कोर्ट में इसके विरोध की बात कही है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान में नई गाइडलाइन पर अमल
भाजपा शासित मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए आधिकारिक आदेश जारी कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को पत्र भेजकर कहा गया है कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हुआ तो उनके कार्रवाई की जाएगी और उन्हें सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का भी दोषी माना जाएगा। भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश ने इस मामले में अनाधिकारिक आदेश जारी किए हैं तो वहीं हरियाणा इस मामले में कानूनी सलाह लेने की बात कह रहा है। छत्तीसगढ़ में भी आदेश के लागू किया गया लेकिन बाद में वापस ले लिया।
मोदी के दौरे के बाद पलटी छत्तीसगढ़ सरकार
इस मामले में अगर छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि आपके हक की चिंता करना सरकार का दायित्व है और वो एससी/एसटी एक्ट को कमजोर नहीं होनें देंगे। वहीं पीएम के कार्यक्रम से 8 दिन पहले 6 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस सर्कुलर जारी कर चुकी थी लेकिन मोदी के दौरे के बाद राज्य सरकार ने अपना स्टेंड बदल दिया। केंद्र सरकार के मंत्री ये भी कह रहे हैं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1989 में बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया, अगर वो इस पर ही कायम रहे तो सरकार अध्यादेश लाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी की थी गाइडलाइन, हुआ था विरोध
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के दुरुपयोग को रोकने को लेकर गाइडलाइन जारी की थीं। यह सुनवाई महाराष्ट्र के एक मामले में हुई थी। ये गाइडलाइंस फौरन लागू हो गई थीं। जिसमें सरकारी कर्मी की तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी। सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत से होगी। आम लोगों के लिए एक्ट के तहत आरोपी सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, तो उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से होगी। अदालतों के लिए अग्रिम जमानत पर मजिस्ट्रेट विचार करेंगे और अपने विवेक से जमानत मंजूर या नामंजूर करेंगे।
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