सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब आलोक वर्मा के भाग्य का फैसला चयन समिति के हाथों में
नई दिल्ली। सीबीआई चीफ आलोक वर्मा के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बड़ी राहत है। केंद्र द्वारा छुट्टी पर भेजे जाने के बाद, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तत्काल प्रभाव से बहाल करने का आदेश दिया गया है। अपने इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम शर्त लगा दी है। अलोक वर्मा की बहाली के आदेश का पारित करते हुए अदालत ने कहा कि, जब तक चयन समिति अंतिम निर्णय नहीं ले लेती, तब तक वह कोई बड़ा नीतिगत निर्णय नहीं ले पाएंगे। हालांकि कोर्ट ने यह साफ नहीं किया कि कौन फैसले नीतिगत होंगे और कौन से प्रशासनिक?
बता दें कि इस चयन समिति में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं। । यह समिति 1997 के विनीत नारायण फैसले में निर्धारित सीबीआई प्रमुख की नियुक्ति और निष्कासन दोनों के लिए जिम्मेदार होती है। आज के आदेश का मतलब है कि वर्मा के भाग्य का फैसला अभी भी अधर में लटका हुआ है और यह समिति ही होगी जो उनके भाग्य का फैसला करेगी। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला एक सप्ताह के भीतर समिति को लेना होगा।
समिति की बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है और केवल एक बार यह पूरा होने पर वर्मा के भाग्य का फैसला होगा। अदालत ने आज अपने आदेश में मूल रूप से संकेत दिए हैं कि उन्हें छुट्टी पर भेजने का निर्णय गलत था। हालांकि यह स्पष्ट कर दिया कि यह केवल समिति ही होगी जो इस मामले पर अंतिम निर्णय ले सकती है। इसका यह अर्थ होगा कि वर्मा की ऑफिस में तो वापसी हो गई लेकिन उनकी शक्तियां घटा दी गई हैं।
बता दें कि, मोदी की केंद्र सरकार ने 23 अक्तूबर की आधी रात को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। इसके साथ ही ज्वाइंट डायरेक्टर एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके साथ ही क़रीब 13 अधिकारियों का तबादला भी कर दिया गया था।
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