जस्टिस लोया के केस की सुनवाई करेगी दूसरी बेंच! सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से मिल संकेत
नई दिल्ली। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के न्यायमूर्ति बीएच लोया की मौत के मामले में आगे की किसी भी याचिका की नहीं सुनना तय किया है। इसी मामले ने सुप्रीम कोर्ट में विद्रोह शुरू किया था। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर मंगलवार शाम (16 जनवरी) को जारी एक आदेश में कहा गया है कि मामले को 'उचित पीठ के सामने रखा जाना चाहिए'। इससे यह संकेत मिल रहा है कि जनहित याचिका को सुनने के लिए एक नई पीठ का गठन किया जा सकता है। क्या इसका मतलब यह है कि जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ किसी भी मामले को सुनने के लिए 'उपयुक्त' बेंच नहीं है? अदालत के आदेश से यह संभावना है कि मामले को जब भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया, तब तक इस बेंच ने नहीं सुना होगा।
'उचित पीठ के सामने रखें'
आमतौर पर, जब 'उचित पीठ के सामने रखें' के साथ एक आदेश समाप्त हो जाता है, तो यह भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाता है ताकि रोस्टर प्रणाली के अनुसार किसी भी अन्य पीठ से पहले और उसके विवेक के अनुसार मामला पेश किया जा सके।
आदेश का मतलब यह हो सकता है कि...
इस प्रकार, आदेश का मतलब यह हो सकता है कि वे पीआईएल जो न्यायमूर्ति लोया की मौत की जांच की मांग कर रहे हैं, उसकी सुनवाई कोई और पीठ कर सकती है। बता दें कि लोया, राजनीतिक रूप से संवेदनशील सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे।
12 जनवरी को हुई थी प्रेस वार्ता
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की इस को अनुशंसा महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस मामले में उनकी पीठ से पहले जाहिरा तौर पर इसकी वजह से चार वरिष्ठ न्यायाधीशों के नेतृत्व में शुक्रवार ( 12 जनवरी ) को भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिसरा के खिलाफ खुलकर सामने आ गए थे।
सुनवाई की तारीख का उल्लेख नहीं
हालांकि मामला मंगलवार को जस्टिस अरुण मिश्रा की अदालत से नहीं हटाया गया था, इस खंड द्वारा पारित आदेश संकेत देता है कि कोई अन्य पीठ अगली तारीख को मामले को सुनवाई कर सकती है। हालांकि, आदेश में अगली तारीख सुनवाई का उल्लेख नहीं किया गया है।