बच्चों की गिरफ्तारी वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से मांगा जवाब
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के बाद प्रशासन से राज्य में बच्चों की नजरबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही एक सप्ताह के भीतर मामले की रिपोर्ट जमा करने के लिए भी कहा है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां लगी पाबंदी के दौरान कथित तौर पर गैरकानूनी तरीके से बच्चों को हिरासत में रखने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के जुवेनाइल जस्टिस कमेटी को इस मामले में दखल देने के लिए कहा है।
जम्मू कश्मीर में बाल अधिकारों से जुड़े मामलों को लेकर राज्य हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को मिली। सीजेआई ने कहा कि रिपोर्ट याचिकाकर्ता के आरोपों को सपोर्ट नहीं करती। महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि जिस लड़के को हिरासत में लिया गया था, लेकिन जैसे ही पता चला कि वो नाबालिग है उसे JJB में भेज दिया गया। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा था कि मौजूदा हालात में क्या जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट पहुंचने में लोगों को दिक्कत हो रही है।
सुनवाई की आखिरी तारीख पर याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता एच अहमदी ने अदालत से कहा था कि वे बंद के कारण जम्मू-कश्मीर कोर्ट का रुख नहीं कर सकते। कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी थी। 17 सितंबर को हाईकोर्ट चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट भेज दी थी। वहीं दूसरी ओर, शुक्रवार को बच्चों की नजरबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए, CJI ने कहा कि याचिका उन मुद्दों को उठाती है जो एक व्यक्ति से परे हैं। रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया।
बता दें कि 16 सितंबर को बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली की तरफ से पेश वकील हुजेफा अहमदी ने 16 सितंबर को शीर्ष अदालत से कहा था कि घाटी के लोग उच्च न्यायालल से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं, जिसके जवाब में रंजन गोगोई ने कहा था कि अगर सच में ऐसा है तो यह बहुत ही चिंता की बात है, और जरुरत पड़ी तो इसके समाधान के लिए मैं स्वयं कश्मीर जा सकता हूं और अगर यह सच नहीं है तो फिर याचिकाकर्ता को इसकी जवाबदेही के लिए तैयार रहना चाहिए।
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