मोरेटोरियम में लोन पर ब्याज माफ करने की याचिका पर एक हफ्ते में विस्तार से जवाब दे केंद-RBI: SC
नई दिल्ली। कोरोना काल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से लोन पर मोरेटोरियम की सुविधा मुहैया कराई गई थी। लेकिन अब जब मोरेटोरियम की मियाद खत्म हो रही है तो लोगों को बैंक लोन की ईएमआई नहीं देने पर बैंक उस पूरी राशि पर ब्याज वसूलने की तैयारी कर रही है। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर विस्तृत जवाब दायर करने के लिए केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को एक हफ्ते का समय दिया है। जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि सरकार की ओर से जो एफिडेविट दायर किया गया है उसमे कई इस मसले पर उठ रहे कई सवालों के जवाब नहीं हैं। बता दें कि लोन माफ करने की याचिका पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की जिसकी अध्यक्षता जस्टिस अशोक भूषण कर रहे हैं।
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केंद्र
सरकार
और
आरबीआई
की
ओर
से
जो
हलफनामा
कोर्ट
में
दायर
किया
गया
है,
उसपर
सुप्रीम
कोर्ट
ने
असंतोष
जाहिर
किया
है।
कोर्ट
की
ओर
से
कहा
गया
है
कि
हलफनामे
में
कई
समस्याओं
का
समाधान
नहीं
है।
कोर्ट
ने
कहा
कि
आरबीआई
या
फिर
केंद्र
की
ओर
से
मोरेटोरियम
के
दौरान
लोन
की
किश्त
नहीं
चुकाने
वालों
से
चक्रवृद्धि
ब्याज
नहीं
वसूला
जाएगा,
इसको
लेकर
कोई
भी
सर्कुलर
जारी
नहीं
किया
गया
है।
यही
नहीं
कोर्ट
ने
कहा
कि
इस
पूरे
मामले
पर
कामत
कमेटी
ने
जो
सिफारिशें
दी
हैं
हैं
उसपर
विचार
करना
चाहिए।
कोर्ट
ने
कहा
कि
हमने
जो
पहले
आदेश
दिया
था,
उसके
बाद
अलग-अलग
बैंकों
ने
क्या
कदम
उठाया
है
उसको
लेकर
हलफनामा
दायर
किया
जाना
चाहिए
था,
लेकिन
इसकी
जानकारी
अभी
तक
नहीं
दी
गई
है।
लिहाजा
कोर्ट
ने
केंद्र
और
आरबीआई
को
विस्तार
से
जवाब
दायर
करने
के
लिए
एक
हफ्ते
का
समय
दिया
है।
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