क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

चार दिन पहले SC के जिस बेंच ने बिना लिस्टिंग पास किया था ऑर्डर, चिदंबरम को क्यों दिया झटका? जानिए

Google Oneindia News

नई दिल्ली- बुधवार को कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत की याचिका दिल्ली हाई कोर्ट से खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसके खिलाफ तत्काल कोई आदेश पारित करने से मना कर दिया था। पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को जेल जाने से बचाने के लिए उनके बड़े-बड़े वकील मित्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हुआ थे। लेकिन, जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने सुनवाई से यह कहकर इनकार कर दिया था कि जबतक मामला लिस्ट में नहीं आएगा वह कैसे सुन सकते हैं। इस दौरान चिदंबरम के वकील ने जज से कहा भी कि चार दिन पहले ही एक ऐसी ही स्थिति में इसी कोर्ट ने आदेश दिया था तो अब क्यों नहीं? तब जस्टिस रमना ने यह कहकर चिदंबरम की याचिका को ठुकरा दिया कि वह मामला बिल्कुल अलग था।

SC में चिदंबरम की याचिका तुरंत क्यों नहीं सुनी गई?

SC में चिदंबरम की याचिका तुरंत क्यों नहीं सुनी गई?

20 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया केस में दिल्ली हाई कोर्ट से पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद उनके वकील मित्र कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमना की कोर्ट में पहुंचे थे। सिब्बल जज साहब से चिदंबरम को गिरफ्तारी से बचाने की गुहार लगा रहे थे। वह जस्टिस रमना से चाहते थे कि जबतक सुप्रीम कोर्ट याचिका पर औपचारिक सुनवाई करे वे गिरफ्तारी पर रोक का आदेश पारित कर दें। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तब जस्टिस रमना ने सिब्बल से कहा कि 'जब तक यह केस लिस्ट पर नहीं आएगा, वह इसकी सुनवाई कैसे कर सकते हैं? हम इससे आगे जाकर कुछ भी नहीं कर सकते....' गौरतलब है कि उस वक्त चीफ जस्टिस अयोध्या केस की सुनवाई कर रहे थे, इसलिए चिदंबरम के बड़े-बड़े वकीलों को चीफ जस्टिस के बाद वरिष्ठतम जज की बेंच में जाना पड़ा था।

चार दिन पहले SC में क्या हुआ था?

चार दिन पहले SC में क्या हुआ था?

चार दिन पहले ही यानि 16 अगस्त को जस्टिस एनवी रमना ने ऐसी ही परिस्थिति में एक आदेश जारी किया था, जो लिस्ट पर नहीं लगा था। यह केस भूषण स्टील के पूर्व सीएफओ और डायरेक्टर नितिन जौहरी से जुड़ा था। इस मामले में जस्टिस रमना ने मामले के बिना लिस्ट में लगे ही दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने का आदेश पारित कर दिया था। यह केस सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने दायर किया था और उसकी ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे। इस मामले में सएफआईओ ने जौहरी को कई बैंकों से फर्जी दस्तावेज के आधार पर धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने 14 अगस्त को उसे जमानत पर छोड़ने का आदेश दिया था। इस केस में जस्टिस रमना के आदेश में कहा गया था, 'याचिकाकर्ता सएफआईओ की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल की ओर से इसकी तत्काल सुनवाई की जरूरत के आधार पर इस मुद्दे को आज ही सुना गया। इसे मंगलवार, 20 अगस्त, 2019 को किसी उचित बेंच की लिस्ट में डालें। तबतक के लिए हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाया जाता है।'

तो सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल की इसलिए नहीं सुनी

तो सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल की इसलिए नहीं सुनी

बुधवार को जब जस्टिस रमना ने चिदंबरम के वकील कपील सिब्बल को संकेत दिया कि वह हाई कोर्ट के आदेश पर तात्कालिक रोक नहीं लगा सकते, तब सिब्बल ने जस्टिस रमना के सामने चार दिन पहले वाले केस का ही उदाहरण रखा। सिब्बल ने जज पर जोर डाला कि चिदंबरम के मामले में भी वह एक तात्कालिक आदेश दे दें, जिससे कि वो गिरफ्तारी से बच जाएं, लेकिन जस्टिस रमना ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया। जस्टिस रमना ने सिब्बल से दो टूक कह दिया कि, 'वह अलग केस था। वह विदेश जा रहा था।' दरअसल, जौहरी के मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा था कि अगर हाई कोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई जाएगी तो आरोपी विदेश भाग सकता है।

<strong>इसे भी पढ़ें- जानिए, CBI के उस अफसर को जिसने दीवार फांदकर चिदंबरम को किया गिरफ्तार</strong>इसे भी पढ़ें- जानिए, CBI के उस अफसर को जिसने दीवार फांदकर चिदंबरम को किया गिरफ्तार

Comments
English summary
SC bench which passed orders without listing in another case, not to Chidambaram,why
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X