गुस्से में SBI के 70000 कर्मचारी, बैंक ने वापस मांगा नोटबंदी के ओवर टाइम का पैसा
नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक के 70000 कर्मचारी बैंक के रवैये से नाराज है। बैंक ने इन कर्मचारियों ने उनके ओवरटाइम का पैसा लौटाने को कहा है। बैंक ने कहा है कि नोटबंदी के दौरान ओवरटाइम के लिए एसोसिएट बैंक के कर्मचारियों को जो भुगतान किया गया है वो उन्हें वापस करना होगा। एसबीआई में विलय हो चुके एसोसिएट बैंकों के 70,000 से ज्यादा कर्मचारियों को बैंक ने ओवरटाइम भुगतान को वापस करने का आदेश दिया है।
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कर्मचारियों को लौटाना होगा ओवर टाइम का भुगतान
नोटबंदी के दौरान बैंक के कर्मचारियों ने जमकर काम किया था। नोटबंदी के दौरान बैंकों में इन कर्मचारियों ने 3 से लेकर 8 घंटे तक ओवर टाइम किया था। बैंक प्रबंधन की ओर से कहा गया था कि उन्हें इस ओवर टाइम के लिए भुगतान किया जाएगा। कर्मचारियों, अधिकारियों को ओवर टाइम के लिए अतिरिक्त भुगतान भी किया गया लेकिन अब जब कि वो भारतीय स्टेट बैंक का हिस्सा बन चुके हैं तो एसबीआई प्रबंधन ने उन सभी कर्मचारियों को मिला भुगतान वापस करने को कहा है, जो एसोसिएट बैंकों से जुड़ रहे हैं।
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गुस्से में बैंक के 70000 कर्मचारी
नोटबंदी के दौरान बैंकों में पुराने नोट जमा करने और बदलने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगी थी। बैंकों में काम का दवाब काफी बढ़ गया था। इस दवाब को कम करने के लिए बैंक कर्मियों को काफी देर तक काम करना पड़ा था। उन्हें इस अतिरिक्त काम के लिए ओवर टाइम का भुगतान किया गया, लेकिन अब एसबीआई प्रबंधन ने उन्हें वो रकम लौटाने को कहा है। आपको बता दें कि एसबीआई पूर्व एसोसिएट बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ ट्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर और जयपुर का एसबीआई में 1 अप्रैल, 2017 को एसीबीआई में विलय हो गया था। उस वक्त ये कर्मचारी SBI का हिस्सा नहीं थे।
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बैंक ने दी अपनी दलील
एसबीआई ने अपने सभी जोनल हेडक्वार्टर को पत्र लिखकर कहा है वो सिर्फ अपने कर्मचारियों को ओवर टाइम का पैसा देने के लिए उत्तरदायी है। पूर्व एसोसिएट बैंकों के कर्मचारियों से ओवर टाइम भुगतान की रकम वापस ली जाए, क्योंकि नोटबंदी के दौरान एसोसिएट बैंकों का विलय एसबीआई में नहीं हुआ था और उनके कर्मचारी को अतिरिक्त काम के लिए भुगतान देने की जिम्मेदारी एसबीआई की नहीं। बैंक के इस फैसले से 70000 कर्मचारी नाराज हैं।