नई दिल्ली। शालिनी को अपने बच्चे का नाम तक रखने का मौका नहीं मिल पाया था और इससे पहले ही उसे पता चला कि उसके बच्चे को कोंगेनाइटल ह्रदय रोग है। उसके एक महीने के बच्चे को जीने के लिए हार्ट सर्जरी की जरूरत है।
शालिनी कहती है कि मैं अपने बच्चे के साथ खेलने के लिए तरस रही थी। बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतज़ार कर रही थी जब मेरा बच्चा इस दुनिया में आएगा। उसकी आवाज़ से ही पूरा घर खुशी से गूंज उठता था।अपने बच्चे के आने की खुशी में वो और उसका पति दोनों ही बहुत खुश थे।
अपने बच्चे के घर आने का दोनों बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। उसके नाम के बारे में सोचते, उसके लिए कपड़े और खिलौने लाते। उसके जन्म के बाद हम उसे घर ले आएं। तब तक वो स्वस्थ था और उसकी किलकारियों से हमारा पूरा घर चहक उठता था। जब वो सोता तो पूरे घर में शांति हो जाती थी और जब उठता तो मैं और मेरे पति उसके साथ खेलने लगते और उसकी मासूम मुस्कान देखकर हमारी तो जैसे पूरी ज़िंदगी सफल हो जाती।
1 महीने के बच्चे को है तत्काल हार्ट सर्जरी की जरूरत, कीजिए मदद
बाकी बच्चों की तरह हम भी अपने बेटे को रूटीन चैकअप के लिए डॉक्टर के पास ले जाया करते थे। हर हफ्ते दोनों को अपने बेटे का चेकअप करवाने के लिए अपने छोटे से शहर पेरंबलूर से चेन्नई जाना पड़ता था। एक हफ्ता ऐसा आया जब उन्हें अपने घर से चेन्नई पहुंचने में 7 घंटे लग गए। अब 7 घंटे और यात्रा करने का मतलब था बच्चे की सेहत को खराब करना। बच्चे के एक रूटीन चैकअप के दौरान उन्हें कुछ ऐसा पता चला जिसने उनकी पूरी ज़िंदगी पलट कर रख दी। इस बात की पुष्टि के लिए बच्चे के कई और टेस्ट होने अभी बाकी थे। शालिनी की सांसे तो जैसे थमने सी लगी थीं। टेस्ट के परिणाम से घबराई शालिनी आगे की जांच करवाने से झिझक रही थी। वही हुआ जिसका डर था, टेस्ट का परिणाम देखकर दोनों की तो जैसे पूरी दुनिया ही वीरान हो गई थी। शालिनी को डॉक्टर ने बताया कि उसके बच्चे को कोंगनाइटल ह्रदय रोग है और हार्ट सर्जरी से ही उसकी जान बच सकती है। उन्हें क्या पता था कि इस बार का रूटीन चैकअप उनकी सारी खुशियों को ही डस लेगा।
हार्ट सर्जरी से ही बच सकती है जान
इस सर्जरी में 4 लाख रुपए का खर्चा आएगा। शालिनी का पति पास ही के एक रेस्टोरेंट में वेटर का काम करता है और उसकी मासिक तनख्वाह मात्र 10,000 रुपए है। इतने में तो बस उसके घर का खर्च ही चल पाता है। अब उसे पेरंबलूर से चेन्नई आना-जाना भी बहुत महंगा पड़ रहा है। उनके पास जो भी था उसे वो अपने बेटे की जान बचाने के लिए बेच चुके हैं। अब उनके पास बची है तो बस एक उम्मीद। मेरा बच्चा पहले से ही बहुत बहादुर है।
वो बहुत छोटा है और पता नहीं कब तक इस दर्द को बर्दाश्त कर पाएगा। उसे इस दर्द में देखकर हम खुद हर पल जीते जी मर रहे हैं। उसके लिए हिम्मत से काम लेने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ये दिल है कि मानता ही नहीं है। बस अपने बच्चे की सलामती की दुआ मांगता रहता है।
अपने एक महीने के बच्चे की जान बचाने के लिए शालिनी और उसके पति ने पड़ोसियों से पहले ही पैसे उधार लिए थे और अब उनके पास पैसों का इंतज़ाम करने का और कोई रास्ता नहीं है। अब तो वो दोनों दिन में बस एक बार ही खाना खाते हैं ताकि अपने बेटे की ज़िंदगी के लिए पैसे बचा सकें। आपकी छोटी सी मदद भी इस डूबते परिवार की ज़िंदगी की नैय्या को पार लगा सकती है। आपका योगदान और मदद उनके लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं है। फेसबुक और व्हॉट्सऐप के ज़रिए अपने सामर्थ्यानुसार धनराशि दान देकर आप इस परिवार की मदद सकते हैं। ये आपको पैसे तो नहीं लौटा सकते लेकिन हां इनकी दुआएं आपको ज़रूर मिल सकती हैं, मदद के लिए यहां क्लिक करें।