नई दिल्ली। नाई का बेटा होने के बावजूद तुहिन बड़े-बड़े सपने देखता था। वो हमेशा डॉक्टर बनकर खेलता था। उसके पड़ोसियों का कहना था कि तुहिन और उसके डॉक्टर किट को अलग कर पाना नामुमकिन है। पड़ोस में एक भी ऐसा इंसान नहीं था जिसने तुहिन को देखा ना हो। एक दिन वो सच में डॉक्टर बनकर उनकी तरह सफेद कोट पहनना चाहता था। आज तुहिन की हालत देखकर ऐसा लगता है कि उसका डॉक्टर बनने का सपना बस एक सपना ही रह जाएगा।
आज डॉक्टर जब भी घर आते हैं तो इंजेक्शन के डर से तुहिन मेरी साड़ी के पल्लू के पीछे जाकर छिप जाता है। कैंसर की वजह से उसका वज़न लगातार कम होता जा रहा है। अब वो इतना ज़्यादा दुबला हो गया है कि हम खुद अपने बेटे को पहचान नहीं पाते हैं।
9 साल के तुहिन का दिमाग अपनी उम्र के बच्चों से काफी तेज़ था। इतनी कम उम्र में ही तुहिन बड़े और मुश्किल शब्द भी बड़ी आसानी से बोल लिया करता था और ये सब देखकर उसके मां-बाप बहुत खुश हुआ करते थे। तुहिन को देखकर उसके माता-पिता गर्व महसूस किया करते थे। उन्हें भी अच्छा लगता था जब तुहिन डॉक्टर बनने को कहता था। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव में रहने वाले इस परिवार की अब पूरी दुनिया उजड़ गई है।
विल्म ट्यूमर की बीमारी से जूझ रहा है 8 साल का तुहिन
शनिवार को पूरा दिन तुहिन ने अपने डॉक्टर किट से सभी पड़ोसियों को देखा और शाम को जब वो घर आया तो थोड़ा थका हुआ सा लग रहा था। उसे खाना खिलाते हुए मेरी नज़र उसके पेट पर पड़ी। उसका पेट एक तरफ से सूजा हुआ था। उसका आकार बदल चुका था। हम में से कोई भी इतना शिक्षित नहीं था कि तुरंत इसका पता लगा सके लेकिन ये समझने में हमें बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि तुहिन को तुरंत बिना किसी देरी के अस्पताल ले जाने की ज़रूरत है।
गरीब मां-बाप के पास नहीं हैं इलाज के पैसे
अपने बेटे को लेकर उसके मां-बाप एक से दूसरे डॉक्टर के चक्कर काट रहे थे लेकिन किसी को भी ये नहीं पता चल पा रहा था कि आखिर तुहिन को हुआ क्या है। 4 डॉक्टरों से मिलने और 2 एक्स-रे के बाद उनकी हिम्मत टूटने लगी थी। उनका एक जानकार डॉक्टर उनके बेटे का इलाज करने के लिए तैयार हुआ। उन्हें पता चला कि तुहिन को कुछ ट्यूमर जैसी समस्या है और जितना जल्दी हो सके उसे अस्पताल में भर्ती करवाने की ज़रूरत है।
परिवार के पास नहीं है इलाज के लिए पैसे
कोलकाता में तुहिन का ठीक से इलाज हो पाना मुश्किल था इसलिए डॉक्टर ने उन्हें चेन्नई जाकर इलाज करवाने के लिए कहा। ये सब सुनकर तो जैसे तुहिन के मां-बाप के होश ही उड़ गए थे फिर भी ढांढस बांधकर तीनों ने चेन्नई का सफर शुरु किया। पहली बार मैं अपना शहर, अपना गांव छोड़कर कहीं बाहर जा रहा था। चेन्नई की ऊंची-ऊंची इमारतें पहली बार देखकर किसी का भी चेहरा चमक सकता है।
जिस आदमी ने अपनी पूरी ज़िंदगी एक गांव में ही बिता दी हो उसके लिए अपना गांव छोड़कर आना बहुत बड़ी बात होती है। चेन्नई में आकर जो मुश्किलें आ रही थीं उनका मैं और मेरी पत्नी सामना करने की हर संभव कोशिश कर रहे थे। रिश्तेदारों और दोस्तों से जो पैसे उधार लिए थे वो तो बस चेन्नई आने और दवाओं आदि में ही खत्म हो गए। एक नए शहर में हमने कदम रखा था वो भी बिना पैसों के।
बेटे की बीमारी ने मां-बाप को तोड़ दिया है
उन दोनों को ना सिर्फ नए शहर में आकर यहां रहने की चिंता थी बल्कि अपने बेटे की बीमारी को लेकर भी दोनों डरे हुए थे। कोलकाता में किसी को भी नहीं पता था कि उनके बेटे को क्या बीमारी हुई थी और इस वजह से उन दोनों की चिंता काफी बढ़ गई थी। बिना कोई देर किए दोनों ने अपने बेट तुहिन को चेन्नई के अस्पताल में भर्ती करवा दिया। कई घंटों की जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनके बेटे को एक दुर्लभ बीमारी है जिसका नाम विल्म ट्यूमर है। उनके बेटे की बाईं किडनी में ट्यूमर फैल रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि ये एक दुर्लभ बीमारी है और अमूमन 5 साल से कम उम्र के बच्चे इस बीमारी का शिकार होते हैं जबकि तुहिन की उम्र 9 साल थी।
तुहिन की बीमारी का इलाज संभव है
डॉक्टरों का कहना था कि अब सिर्फ कीमोथेरेपी ही तुहिन की जान बचा सकती है। कीमोथेरेपी के 6 महीने बाद तुहिन को पूरी तरह से ठीक करने के लिए एक सर्जरी भी होगी। तुहिन के मां-बाप से डॉक्टर ने कहा कि उनके बेटे की बाईं किडनी में ट्यूमर है। ये सुनकर तो जैसे तुहिन के मां-बाप के प्राण ही शरीर से निकल गए थे। अपने बेटे को जल्द से जल्द घर ले जाने की आस तो जैसे ठंडी पड़ गई थी। जब डॉक्टर ने बताया कि तुहिन की बीमारी का इलाज संभव है तब कहीं जाकर हमारी सांस में सांस आई। इस नए शहर में बिना पैसों के बेटे का इलाज कराना बड़ा मुश्किल था और ऐसे में हम दोनों बस एक वक़्त ही खाना खाते थे। तुहिन के इलाज के लिए जो थोड़े पैसे हमने बचाए थे अब वो भी खत्म होने लगे।
तुहिन का पेट सूजकर दोगुने आकार का हो चुका है
तुहिन की बीमारी की वजह से उसके माता-पिता अपना गांव छोड़कर चेन्नई आकर इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं। अब तुहिन को चेन्नई के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जो उनके घर से 1800 किमी दूर है। तुहिन का पेट सूजकर दोगुने आकार का हो चुका है। उसके मां-बाप जो भी कर सकते थे, कर रहे हैं। जो भी पैसे उनके पास थे उन्होंने वो सब लगा दिए और अब तो तुहिन के मां-बाप के पास खाने तक को पैसे नहीं है। अब इस गरीब परिवार को आपसे ही उम्मीद है। आपकी छोटी सी मदद भी तुहिन को उसकी ज़िंदगी के करीब लेकर जा सकती है। तुहिन की आर्थिक मदद के लिए उसकी कहानी को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर ज़रूर करें ताकि वो भी उसकी मदद के लिए आगे आएं। तुहिन के डॉक्टर बनने के सपने को अब आप ही पूरा कर सकते हैं। मदद के लिए यहां क्लिक करें