प्लाज्मा थेरेपी ने तो मेरी भी जान बचाई है, ICMR को इसे नहीं हटाना चाहिए: सत्येंद्र जैन
कोरोना वायरस के इलाज में कारगर मानी जा रही प्लाज्मा थेरेपी को लेकर आईसीएमआर और दिल्ली सरकार आमने सामने आ गए हैं।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के इलाज में कारगर मानी जा रही प्लाज्मा थेरेपी को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और दिल्ली सरकार आमने सामने आ गए हैं। दरअसल आईसीएमआर ने कहा है कि अब वो प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना वायरस के इलाज के लिए जारी केंद्र की गाइडलाइन से हटाने पर विचार कर रहा है। आईसीएमआर के इस कदम को लेकर दिल्ली सरकार ने आपत्ति जताई है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को इस मामले पर कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद उनकी जान भी प्लाज्मा थेरेपी से ही बची थी, ऐसे में आईसीएमआर को इसे प्रोटोकॉल से नहीं हटाना चाहिए।
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सत्येंद्र जैन ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, 'प्लाज्मा थेरेपी की वजह से देश में 2000 से भी ज्यादा लोगों की जान बची है, उनमें मैं भी शामिल हूं। इसलिए, आईसीएमआर को प्लाज्पा थेरेपी को नहीं हटाना चाहिए। यहां तक कि अमेरिका ने भी कहा है कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस के इलाज के लिए काफी कारगर है।'
क्या
है
प्लाज्मा
थेरेपी
आपको
बता
दें
कि
प्लाज्पा
थेरेपी
इलाज
की
ऐसी
प्रक्रिया
है,
जिसमें
कोरोना
वायरस
से
संक्रमित
मरीज
के
अंदर
एंटीबॉडी
बनाने
के
लिए
कोरोना
वायरस
से
ही
ठीक
हो
चुके
व्यक्ति
के
रक्त
का
इस्तेमाल
किया
जाता
है।
सत्येंद्र
जैन
बीते
17
जून
को
कोरोना
वायरस
से
संक्रमित
हुए
थे
और
तबीयत
बिगड़ने
के
बाद
दिल्ली
के
मैक्स
हॉस्पिटल
में
उन्हें
प्लाज्मा
थेरेपी
दी
गई
थी।
आईसीएमआर
ने
प्लाज्पा
थेरेपी
को
लेकर
क्या
कहा
गौरतलब
है
कि
आईसीएमआर
प्रमुख
डॉ.
बलराम
भार्गव
ने
मंगलवार
को
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
के
दौरान
कहा
कि
हमारी
एक
रिसर्च
में
सामने
आया
है
कि
प्लाज्पा
थेरेपी
से
मृत्यु
दर
या
संक्रमण
दर
कम
करने
में
कोई
मदद
नहीं
मिलती,
इसलिए
प्लाज्मा
थेरेपी
को
कोरोना
वायरस
के
लिए
इलाज
के
लिए
जारी
केंद्रीय
गाइडलाइन
से
हटाया
जा
सकता
है।
आईसीएमआर
ने
देशभर
के
39
अस्पतालों
में
1200
मरीजों
पर
प्लाज्पा
थेरेपी
को
लेकर
रिसर्च
की
थी।
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