राजस्थान BJP चीफ बोले- दुनिया में तिरंगे को मान दिलाने में RSS का बड़ा योगदान
जयपुर। हाल ही में राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष पद की कमान संभालने वाले सतीश पूनिया ने कहा कि, संघ (आरएसएस) केवल देश नहीं, दुनिया के दिशा देने की ताकत रखता है। आज भारत माता की जयकार गूंजती है, वंदे मातरम जो गूंजता है, तिरंगे को मान मिलता है, उसमें संघ का बड़ा योगदान है। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में शनिवार को सतीश पूनिया को राजस्थान की कमान सौंपी हैं। पूनिया वर्तमान में जयपुर जिले की आमेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
रविवार को भाजपा मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर मीडिया से बातचीत में राष्ट्रनिर्माण में संघ की भूमिका पर उन्होंने कहा कि अगर संघ नहीं होता तो शायद देश नहीं होता। सबको पता है देश का विभाजन किसने कराया है, लेकिन संघ ने राष्ट्रीयता की भावना और संस्कारों की अलख जगाई है। संघ से राष्ट्रीय स्वाभिमान की धमक पूरी दुनिया में बढ़ी हैं।
Satish Punia, BJP President of Rajasthan, in Jaipur: Sangh
— ANI (@ANI) September 15, 2019
(RSS) kewal desh nahi, duniya ko disha dene ki taakat rakta hai. Aaj 'Bharat Mata' ki jaikaar jo goonjti hai, Vande Mataram jo goonjta hai, tirange ko maan milta hai, uss mein Sangh ka bara yogdan hai. pic.twitter.com/y8X4zj2MGH
सतीश पूनिया ने कहा कि संघ नहीं होता तो हिंदुस्तान नहीं होता। संघ ऐसी ताकत है जिसकी बदौलत भगवा का हर जगह सम्मान हो रहा है। 'संघ केवल देश नहीं, दुनिया को दिशा देने की ताकत रखता है। आज 'भारत माता' की जयकार जो गूंजती है, 'वंदे मातरम' जो गूंजता है, तिरंगे को मान मिलता है, उसमें संघ का बड़ा योगदान है। जाट नेता सतीश पूनिया को अभी हाल में राजस्थान बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाया गया है।
सतीश पूनिया संघ की पृष्ठभूमि से हैं और बहुत ही लो-प्रोफाइल रहने वाले नेता हैं। पुनिया 2018 के विधानसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण के आमेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के निधन के बाद से ही यह पद खाली था।
राजस्थान भाजपा में वर्ष 2003 से लेकर 2018 के विधानसभा चुनाव तक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके समर्थक हावी रहे हैं और राजस्थान में पार्टी राजे और संघनिष्ठ नेताओं के बीच बंटी नजर आती रही है। अब पुनिया के आने के बाद यह माना जा रहा है कि पार्टी में राजे और उनके समर्थकों का वर्चस्व खत्म होगा तथा एक बार फिर संघनिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं का प्रभाव बढ़ेगा।
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