सैटेलाइट इमेज में हुआ खुलासा, अब पैंगॉन्ग झील के पास चीन बढ़ा रहा तैनाती, दिख रहे हैं टेंट और नाव
नई दिल्ली। लद्दाख सीमा पर भारत-चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। गलवान वैली के बाद अब पैंगॉन्ग झील के इलाके में चीन सैनिकों ने अपनी गतिविधि बढ़ा दी है। साफ शब्दों में कहें तो पैंगॉन्ग झील के इलाके में चीन ने अपने सैनिकों को तैनात किया है। अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टूडे के मुताबिक प्लेनेट लैब की सैटेलाइट इमेज में साफ दिख रहा है कि फिंगर-4 और फिंगर-5 के बीच चीनी सेना ने अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। सैटेलाइट इमेज के मुताबिक, झील के किनारे फिंगर 4 से 6 के बीच टेंट और नाव दिख रहे हैं, जो चीन के बताए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक चीन यहां अपनी टुकड़ी को बिल्डअप कर रहा है।
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हालांकि ऐसा नहीं है कि झील के पास सिर्फ चीन ने ही अपनी मौजूदगी को बढ़ाया है, भारत की सेना ने भी अपनी पोजिशन को बढ़ाया है और मिरर तैनाती जैसी स्थिति बनाई हुई है। सैटेलाइट इमेज में भारतीय सेना के टेंट भी बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं। आपको बता दें कि पैंगॉन्ग झील के पास ही बीते 5-6 मई को पहली बार भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच झड़प हुई थी। जानकारी के मुताबिक ये हाई डेफिनिशन सैटेलाइट तस्वीरें सैट इंटेल एनालिस्ट नेथन रूजर ने पब्लिश की है।
इमेज के जरिए देखा जा सकता है कि इस इलाके में गुलाबी रंग के टेंट हैं, जो कि चीनी सेना के हैं। चीन ने फिंगर 4 इलाके के अलग-अलग हिस्सों में अपनी सेना को बिछाया हुआ है, जहां कुछ सैनिक पहाड़ियों पर हैं, जबकि कुछ गलवान नदी के पास मौजूद हैं। कुछ इलाकों में तो चीनी सेना ने भारी मात्रा में तैनात है। इमेज में चीन के वोट भी दिख रहे हैं। ये वही वोट हैं जो पेट्रोलिंग के काम आते हैं और जरूरत पड़ने पर भारी मात्रा में हथियार एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते हैं।
पैंगॉन्ग झील के पास ही फिल्म थ्री इडियट्स की शूटिंग हुई थी
पैंगॉन्ग झील का पूरा नाम पैंगॉन्ग त्सो है। ये झील 134 किमीं लंबी है। यह हिमालय से करीब 14 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इसका करीब 45 KM कस हिस्सा भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में आता है। बता दें कि इसी झील के किनारे बॉलीवुड फिल्म थ्री इडियट्स की शूटिंग हुई थी। LAC इस झील के बीच से गुजरती है। कहा जाता है कि पश्चिमी सेक्टर में चीन की तरफ से अतिक्रमण के एक तिहाई मामले इसी पैंगॉन्ग त्सो झील के पास होते हैं। इसकी वजह ये है कि इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर सहमति नहीं है।