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Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: 22 साल की उम्र में सरदार पटेल ने 10वीं पास की थी, जानिए उनसे जुड़ी और भी दिलचस्प बातें

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नई दिल्ली। स्वतंत्र भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 144वीं जयंती है। उनका जन्म भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885) से 10 साल पहले यानी 1875 में हुआ था। बेशक इंगलैंड में शिक्षा का अधिकार 1872 में आ गया था लेकिन भारत में स्कूली शिक्षा मुफ्त नहीं थी।

Sardar Vallabhbhai

आंकड़ों के अनुसार, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून 2009 में पास हुआ था। जिसके बाद से 6-14 साल के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा पाना मौलिक अधिकार बन गया। पटेल एक गरीब परिवार से थे और बचपन में सामान्य छात्र थे। उनके माता-पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि वे अपने छह बच्चों को नियमित स्कूली शिक्षा दे सकें।

पटेल ने खुद को शिक्षित करने के लिए किताबें उधार ली थीं। बाद में 22 साल की उम्र में उनका मैट्रिक पास करने का सपना पूरा हो गया। जो 19वीं सदी में भी इस कक्षा को पास करने के लिए अधिक उम्र मानी जानी थी। वहीं उनसे उम्र में छह साल छोटे महात्मा गांधी ने 17 साल की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी। इस नुकसान की भरपाई के लिए उन्होंने महज दो साल के भीतर ही डिस्ट्रिक्ट प्लीडर की परीक्षा पास कर ली। इसकी तैयारी करने के लिए भी उन्होंने किताबें उधार ही ली थीं। इस परीक्षा को पास करने के बाद वकील के तौर पर वह अदालतों में अभ्यास कर सकते थे।

इंगलैंड यात्रा के पीछे की कहानी

इंगलैंड यात्रा के पीछे की कहानी

पटेल की वकालत की पढ़ाई के लिए इंगलैंड जाने के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। उनके बड़े भाई विठ्ठलभाई पटेल इंगलैंड जाकर वकालत की पढ़ाई करना चाहते थे। इसके लिए सरदार पटेल ने भी आवेदन किया था। जब घर पर टिकट और पासपोर्ट पहुंचा तो उसपर लिखा था, वीजे पटेल। क्योंकि दोनों भाईयों का नाम एक जैसा था तो डाकिया को लगा कि ये बड़े भाई के लिए होगा। डाकिया ने पत्र बड़े भाई को दे दिया। लेकिन जब हर बात स्पष्ट हो गई, फिर भी सरदार पटेल ने अपने भाई को इंगलैंड जाने दिया। ये समय साल 1905 था, उस वक्त पटेल की उम्र 30 साल थी।

इसके छह साल बाद जब पटेल 36 साल के हुए, तो वह वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंगलैंड चले गए। ये कोर्स तीन साल (36 महीने) का था लेकिन उन्होंने इसे 30 महीने में ही पूरा कर लिया। वह इंगलैंड से वकील बनकर वापल लौटे। वह घर आए और अहमदाबाद में वकालत शुरू कर दी। अपनी प्रतिभा के चलते वह देश के लौह पुरुष कहलाए।

जब पत्नी की कैंसर से मौत हो गई

जब पत्नी की कैंसर से मौत हो गई

पटेल के निजी जीवन की घटनाएं बताती हैं कि वह भावनाओं पर किस तरह से काबू पा सकते थे। पटेल की पत्नी झवेरबा की 1909 में कैंसर से अस्पताल में मौत हो गई थी। उस दिन पटेल कोर्ट में किसी मामले की बहस कर रहे हैं। तभी किसी ने उन्हें एक कागज के माध्यम से बताया कि उनकी पत्नी की ऑपरेशन के दौरान मौत हो गई है। उन्होंने उस कागज को पढ़ा और अपनी कोट की जेब में रख लिया। जब वह केस जीत गए और सब उन्हें बधाई देने लगे तो पटेल ने सबको अपनी पत्नी की मौत के बारे में बताया और वहां से चले गए।

अपराध के मामले देखने वाले वकील के तौर पर सरदार पटेल की कहानी ऐसी थी जिससे पता चलता है कि वह कैसे सफलता तक पहुंचे।

महात्मा गांधी से मुलाकात

महात्मा गांधी से मुलाकात

जब पटेल महात्मा गांधी से मिले तो उनका जीवन ही बदल गया। ये बात 1917 की है। महात्मा गांधी एक समारोह में बॉम्बे में बोल रहे थे। सरदार पटेल दर्शकों में से एक थे। महात्मा गांधी भारतीयों पर ब्रिटिश जुल्मों के बारे में बोल रहे थे और पटेल सुन रहे थे।

इसके बाद पटेल ने फैशन को छोड़, इंगलैंड के स्टाइल से भारतीय स्टाइल अपना लिया। उन्होंने धोती-कुर्ता पहना। उनका पहनावा बिल्कुल वैसा हो गया जैसा गुजरात के केवड़िता में उनकी प्रतिमा का है। आज उनकी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को संबोधित किया है।

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English summary
know some interesting things about Sardar Vallabhbhai Patel on his birth anniversary.
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