ये 'समुद्री बाज़' अब छोड़ देंगे भारतीय नौसेना का साथ
मुंबई। इस महीने आने वाली 11 तारीख भारतीय नौसेना के लिये ऐतिहासिक दिन के रूप में याद रखी जायेगी। इस दिन भारतीय नौसेना की एयर स्क्वॉड्रन 300 समुद्री लड़ाकू विमानों "सी हेरियर", को विदाई देगी और नई तकनीकी से लैस नये लड़ाकू विमानों "व्हाइट टाइगर" को बेड़े में शामिल करेगी।
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11 मई की सुबह एक शानदार विदाई समारोह के साथ आईएनएएस 300 अपने बेड़े में 29के/कब फाइटर प्लेन शामिल करेगा। इस मौके पर नौसेना चीफ एडमिरल आर के धोवन के साथ कई नौसेना अधिकारी विमानों केा विदाई देंगे।
ये 'समुद्री बाज़' अब छोड़ देंगे भारतीय नौसेना का साथ
इस मौके पर समुद्री लड़ाकू विमनों के पायलट कमांडर सिखु राज इस बेड़े की कमान मिग29के के पायलट कैप्टन केएचवी सिंह के हाथों में सौंपेंगे। इस मौके पर समुद्री लड़ाकू विमान और मिग 29 आसमान में रोमांचक शो प्रस्तुत करेंगे।
इस मौके पर बड़ी संख्या में रिटायर हो रहे समुद्री लड़ाकू विमानों के पायलट भी मौजूद रहेंगे।
समुद्री लड़ाकू विमान का इतिहास
-
सी
हेरियर
वो
विमान
हैं,
जिन्हें
1978
में
सीहॉक
की
विदाई
के
बाद
नौसेना
के
बेड़े
में
शामिल
किया
गया
था।
-
सी
हेरियर
का
निर्माण
ब्रिटिश
एयरोस्पेस
द्वारा
किया
गया
था।
-
नवंबर
1979
में
भारत
सरकार
ने
सी
हेरियर
का
ऑर्डर
दिया
था।
-
1983
में
सी
हेरियर
विमानों
को
नौसेना
के
बेड़े
में
शामिल
किया
गया
और
ट्रेनिंग
शुरू
हुई।
-
16
दिसंबर
1983
को
गोवा
के
दबोलिम
एयरपोर्ट
पर
पहले
तीन
सी
हेरियर
भारत
की
जमीन
पर
उतरे।
-
20
दिसंबर
1983
को
सी
हेरियर
ने
आईएनएस
विक्रांत
पर
कदम
रखा
और
तब
से
लेकर
आज
तक
अलग-अलग
युद्ध
पोतों
पर
अपनी
सेवाएं
दे
रहे
हैं।
-
इन
विमानों
की
सबसे
बड़ी
खासियत
यह
है
कि
इन्हें
उड़ान
भरने
या
उतरने
के
यिले
लंबे
रनवे
की
जरूरत
नहीं
पड़ती।
ये
हेलीकॉप्टर
की
तर्ज
पर
कहीं
भी
उतर
सकते
हैं।
-
ये
विमान
लंबे
समय
तक
उड़ान
भर
सकते
हैं,
क्योंकि
इसमें
बाहर
से
ईंधन
का
टैंक
लगाया
जा
सकता
है।
-
ये
विमान
सब
मिसाइलों
से
लैस
किये
जा
सकते
हैं।
-
एंटी-शिप
ईगल
मिसाइल
से
लैसे
ये
विमान
कुछ
ही
सेकेंड
में
दुश्मन
के
युद्ध
पोत
को
नेस्तनाबूत
कर
सकते
हैं।
-
साथ
ही
दिये
गये
टार्गेट
पर
बम
व
रॉकेट
मिसाइल
गिराने
में
इन
विमानों
का
जवाब
नहीं।
-
इन
विमानों
का
इस्तेमाल
कारगिल
के
ऑपरेशन
विजय
और
उसके
बाद
2001-02
में
ऑपरेशन
पराक्रम
में
किया
गया
था।
- इन विमानों ने अपनी अंतिम अधिकारिक उड़ान 6 मार्च को आईएनएस विराट से भरी।