हिट एंड रन केस: शर्मनाक है सलमान पर फैसलों का पोस्टमॉर्टम
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। सलमान खान को लेकर दो कोर्ट के फैसले आए हिट एंड रन केस में। एक फैसला निचली अदालत से आया। दूसरा हाई कोर्ट से। दोनों फैसले अलग-अलग रहे। दोनों के बाद सोशल मीडिया ने कोर्ट के फैसले का जमकर पोस्ट मार्टम किया।
निचली अदालत के फैसले के बाद कहा गया कि इतने साल के बाद फैसला आने का क्या मतलब है। फैसले से तमाम लोग दुखी लगे।
राहत मिली
अब हाई कोर्ट के फैसले से उन्हें राहत मिली। अब सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि सचमुच हमारे हिन्दुस्तान में कानून और उसका बंदोबस्त देखकर तो यही लगता है कि यहां न्याय पाने से पहले पैसा और बड़ा रुतबा हासिल करना बहुत जरूरी है।क्योंकि अगर ये सब हैं तो कानून भी अंधा हो जाता है। [सलमान को क्यों मिली जमानत]
फेसबुक पर कमेंट
फेसबुक पर एक कमेंट ये भी था, देश के बड़े और काबिल वकील मिलकर जज को कुछ देखने,सोचने और समझने नहीं देते।बस कानून की किताबों की इबारतों में इस कदर उलझाते हैं कि उसे सुलझाने में जज शायद खुद उलझ जाते हैं।
सवाल उठता है कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना कब सीखेंगे। क्या जो फैसला हमारे मन-मुताबिक नहीं आएगा उसका हम विरोध करेंगे। हम हिन्दुस्तानी बहुत से कोर्ट के फैसलों पर जिस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं,उससे साफ है कि हम अभी मेच्योर नहीं हुए हैं।
कानून के जानकार कह रहे हैं कि सलमान खान को जो जमानत मिली वो कानून संगत है।यानी कानून की किताबों में जो लिखा है उसके मुताबिक ही जज साहब ने फैसला सुनाया। तो इसमें गलत क्या है।
पर सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि जरा थोड़ी देर ठहर कर इस बात पर भी सोच लिया जाए कि जिस वक्त बॉम्बे हाईकोर्ट पर सारे मुल्क की निगाह लगी हुई थी (टीवी कवरेज के मुताबिक) उस वक्त जज के सामने सलमान के वकीलों ने जिस अंदाज में जिरह की और जिन दलीलों का सहारा लिया,क्या उन्हीं तरह की दलीलें इस मुल्क के उन हजारों लाखों कैदियों को जमानत दिलवा सकते हैं।जो वाकई जेल से बाहर आने के लिए तड़प रहे हैं। कुल मिलाकर देश को कोर्ट के फैसलों का सम्मान करना सीखना होगा।