सत्संग में भक्तों से ली फीस तो लगेगा GST, धार्मिक ग्रंथों की बिक्री पर भी टैक्स
सत्संग में भक्तों से ली फीस तो लगेगा GST, धार्मिक ग्रंथों की बिक्री पर भी टैक्स शॉर्ट हेडलाइन
नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी के दायरे में धार्मिक ग्रंथ, धार्मिक मैगजीन , धार्मिक डीवीडी, धर्मशाला और लंगर भी रहेंगे। महाराष्ट्र में अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) ने जीएसटी के संबंध में आई अर्जी पर यह फैसला सुनाया है। AAR का कहना है कि इन वस्तुओं की बिक्री बिजनेस है, इसलिए टैक्स से मुक्त नहीं किया जा सकता है।
AAR के सामने श्रीमद राजचंद्र आध्यात्मिक सत्संग साधना केंद्र ने धार्मिक किताबों, मैगजीन आदि को टैक्स के दायरे से बाहर रखने की दलील दी गई थी। संस्था की ओर से तर्क दिया गया कि वह तो धर्म और अध्यात्म का प्रचार कर रहे हैं। इस कार्य को कारोबार की संज्ञा देना सही नहीं होगा।
संस्थान
की
अपील
को
AAR
ने
यह
कहते
हुए
ठुकरा
दिया
है
कि
जब
तक
विशेष
छूट
न
दी
जाए
तब
तक
किताबों,
सीडी
और
स्टेचू
की
ब्रिकी,
शिविर
या
सत्संग
का
आयोजन
जीएसटी
के
दायरे
में
आएंगे।
सत्संग
में
भाग
लेने
के
लिए
यदि
फीस
ली
जा
रही
है
तो
इसे
चैरिटेबल
एक्टिविटी
नहीं
माना
जाएगा।
इस
प्रकार
की
गतिवधियों
स्पष्ट
तौर
पर
जीसटी
के
सेक्शन
7
के
तहत
बिजनेस
की
श्रेणी
में
आती
हैं।
AAR का यह फैसला बेहद अहम है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि संस्था की स्टेट्स क्या है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जीएसटी में एक्टिविटी पर फोकस है, आप क्या काम कर रहे हैं, यह सबसे अहम है। AAR के इस फैसले से स्पष्ट हो जाता है कि ट्रस्ट बनाकर जो बिजनेस चल रहे हैं, उन्हें अपने टैक्स का कैल्कुलेशन अब दोबारा से करना पड़ेगा।