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सायरा बानो के कोहेनूर हैं दिलीप कुमार

अब इन्हीं खुशियों को हम तब एन्जॉय करते हैं जब दिलीप साहब और मैं रात को एकांत में डिनर करते हैं. तब हम हल्का हल्का संगीत चला देते हैं उसमें ज्यादातर हल्का हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत रहता है.

अब हमारा पहले की तरह बहुत ज्यादा यात्राएं करना तो छूट गया है. हाँ कभी स्वस्थ रहने पर हम कभी बाहर डिनर पर या आसपास गाडी में घूमने के लिए जरुर निकल जाते हैं.

पर कुल मिलाकर हम दोनों को ही एक दूसरे का साथ बहुत सुहाता है. आप दुआ कीजिये यह साथ ऐसे ही बना रहे.

By BBC News हिन्दी
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सायरा बानो और दिलीप कुमार
KABIR M ALI
सायरा बानो और दिलीप कुमार

मैं आज भी दिलीप साहब की नज़र उतारती रहती हूँ

बिरयानी और पुलाव अब हमारे यहाँ कभी-कभार ही बनते हैं

हमारी रात कैसे गुजरी सब उ पर निर्भर करता है

तब दिलीप साहब के साथ मैं बेडमिन्टन खेलती थी- सायरा बानो

हिंदी सिनेमा ने यूँ तो एक से एक कई शानदार अभिनेता दिए हैं लेकिन दिलीप कुमार एक ऐसे अभिनेता हैं जिनकी बात ही कुछ और है. आज उन्हीं बेमिसाल अभिनेता दिलीप कुमार का 96 वां जन्मदिन है.

फ़िल्मों से बरसों से दूर होने के बावजूद दिलीप साहब के दुनिया भर में आज भी लाखों करोड़ों प्रशंसक हैं. उन प्रशंसकों में सबसे ज़्यादा उनका कोई प्रशंसक है तो वो हैं उनकी पत्नी सायरा, जो उनकी बचपन से दीवानी रही हैं.

हालांकि सायरा बानो स्वयं लोकप्रिय नायिका रही हैं और अपनी जंगली, अप्रैल फूल, पड़ोसन, झुक गया आसमान, पूरब और पश्चिम, विक्टोरिया नंबर 203, आदमी और इंसान तथा ज़मीर जैसी बहुत सी फिल्मों के लिए जानी जाती रही हैं.

लेकिन दिलीप कुमार से शादी के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन उन्हीं को समर्पित कर दिया. पिछले कई वर्षों से तो वह दिलीप साहब के हर दुःख सुख में साए की तरह उनके साथ रहती हैं. दिलीप साहब के 96 वें जन्मदिन के अवसर पर हमने उनसे एक विशेष बातचीत की.

आप इस बार 11 दिसम्बर को दिलीप साहब का यह 96 वां जन्म दिन कैसे मनाने जा रही हैं ?

कुछ ख़ास समारोह तो नहीं कर रहे इस बार. क्योंकि उनकी सेहत पिछले दिनों काफी नासाज रही है.

मेरी तबियत भी कुछ ठीक नहीं है. इसलिए कोई बड़ी पार्टी करने का कोई मौका नहीं है. बस एक छोटी सी पार्टी रखी है परिवार और करीबी दोस्तों के लिए. कुछ बहुत पुराने पहचान वाले इक्का दुक्का लोग दिन भर हर साल आते रहते हैं.

अल्लाह के फज़ल से रात तक ही यह सिलसिला चलता रहता है. इसलिए कुछ वे लोग भी इसमें शामिल होंगे.

राज कपूर और देव आनंद के साथ दिलीप कुमार
MOHAN CHURIWALA
राज कपूर और देव आनंद के साथ दिलीप कुमार

फिल्म इंडस्ट्री से भी कुछ लोग उनके जन्म दिन पर अक्सर आते रहे हैं. मसलन अमिताभ बच्चन या शाहरुख़ खान...

अमिताभ जी बेचारे बहुत व्यस्त रहते हैं फिर भी वह कभी जन्म दिन पर या कभी भी दिलीप साहब को देखने आ ही जाते हैं.

जब युसूफ साहब अस्पताल में दाखिल थे तब भी वह उनका हाल पूछने आते रहे हैं. यहाँ तक आमिर, शाहरुख माधुरी दीक्षित और प्रियंका चोपड़ा भी आ जाते हैं. आमिर खान तो कहते हैं कि जितना मैं दिलीप साहब को चाहता हूँ उतना उनको कोई और चाह ही नहीं सकता.

सभी बहुत अच्छे बच्चे हैं. मेरे लिए तो ये बच्चे ही हैं चाहे वे आज बड़े स्टार हैं.

मधुबाला और दिलीप कुमार
MUGHAL-E-AZAM
मधुबाला और दिलीप कुमार

दिलीप साहब की सेहत अब कुल मिलाकर कैसी है. मैं ख़ास तौर से यह जानना चाहता हूँ कि जो लोग उनसे मिलने आते हैं वे उन्हें पूरी तरह पहचान पाते हैं और क्या वह उनसे बातचीत करते हैं ?

दिलीप साहब अब बीमारी के कारण बहुत कम बोलते हैं और काफी मूडी हैं. उनके मूड पर है कभी वे लोगों को पहचान लेते हैं कभी नहीं भी पहचान पाते.

अब दिलीप साहब और आपकी दिनचर्या कैसी रहती है, कितने बजे उठते हैं, कब सोते हैं ?

असल में अब कुछ भी बंधा बंधाया या फिक्स सा कुछ नहीं है. हम रिटायर लोग हैं. अपनी सुविधा से जागते सोते हैं.

सब कुछ हमारी तबियत पर निर्भर रहता है. हमारी रात कैसे गुजरी इस पर तय होता है. यदि रात को तबियत ठीक नहीं रही तो देर से उठते हैं. देर से खाते पीते हैं.

यदि तबियत ठीक रहती है तो जल्दी भी उठ जाते हैं. लोगों से तब मिलना जुलना भी होता रहता है.

दिलीप कुमार की फ़िल्म शबनम का पोस्टर
BIBHUTI MITRA
दिलीप कुमार की फ़िल्म शबनम का पोस्टर

दिलीप साहब क्या कभी किसी खाने की चीज़ के लिए कोई फरमायश भी करते हैं कि आज ये खाना है यह पीना है ?

नहीं अब फरमायश तो नहीं करते हैं उन्हें जो भी खाने को देते हैं वे शौक से खाते हैं. सब कुछ उनके शौक के हिसाब से ही बनता है. फिर भी हम उनकी तबियत को देखकर ही सब कुछ बनाते हैं. अब हमारा मेन्यु काफी बदल गया है.

ज्यादातर हल्की चीजें बनाते हैं सभी कुछ पैट सा है सेट है. पहले की तरह बिरयानी और पुलाव अब हमारे यहाँ कभी कभार ही बनते हैं. हाँ कभी उनकी कोई फरमायश होती है तो वह बना दिया जाता है.

दिलीप साहब के बारे में यह बात कई बार सुनी है कि उन्हें बचपन से नज़र बहुत जल्द लग जाती है. इसके लिए पहले उनकी दादी नज़र उतारती थीं और फिर उनकी माँ और फिर आप भी उनकी नज़र उतारती रही हैं. क्या अब भी आप उनकी नज़र उतारती हैं ?

बिलकुल आज भी. असल में दिलीप साहब बचपन से बेहद खूबसूरत रहे हैं. आज भी वह वैसे ही खूबसूरत हैं. उनको चाहने वाले दुनिया भर में हैं.

आज भी उन्हें बहुत जल्द नज़र लग जाती है. उनकी दादी और माँ उनकी नज़र कुछ और तरीके से उतारती थीं. क्योंकि किसी फ़क़ीर बाबा ने कहा था कि 15 साल की उम्र तक इस बच्चे को बुरी नज़र से बचा के रखना.

इसलिए वे उनके माथे पर राख लगा देती थीं. लेकिन मैं उनकी नज़र उतारने के लिए उनका सदका करती हूँ. जिसमें गरीबों को अनाज और कपड़े देने के साथ उनकी जरूरतों की कुछ और चीज़ें दे देती हूँ.

दिलीप कुमार पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ
SAIRA BANO
दिलीप कुमार पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ

आप दिलीप साहब की 16 बरस की उम्र से दीवानी रही हैं. आपने दिलीप साहब की पहली फिल्म कौनसी देखी थी ?

मैंने उनकी सबसे पहले जो फिल्म देखी थी वह थी 'आन'. तब से मेरा मन उनके साथ काम करने के लिए मचलने लगा था.

जब मैं लन्दन से पढ़कर वापस मुंबई आई और पहली बार शम्मी कपूर के साथ 'जंगली' फिल्म की तब तो दिलीप साहब के साथ काम करने की इच्छा और मजबूत हो गयी. साथ ही उनसे शादी करने के भी.

सायरा बानो और दिलीप कुमार
@THEDILIPKUMAR
सायरा बानो और दिलीप कुमार

दिलीप साहब ने करीब 60 फिल्मों में काम किया लेकिन आपकी नज़र में उनकी सबसे बेहतर फिल्म कौनसी है ?

मुझे उनकी 'गंगा जमुना' फिल्म बहुत पसंद है. हालांकि वैसे यह कहना मुश्किल है क्योंकि उन्होंने एक से एक नायाब फिल्म की है.

जिन फिल्मों में आपने दिलीप साहब के साथ किया उनमें ज्यादा अच्छी फिल्म पूछा जाए तो

उसमें मुझे 'सगीना महतो' बहुत अच्छी लगती है, 'बैराग' और 'गोपी' भी मुझे पसंद हैं.

आप दिलीप साहब को कभी कोहेनूर कहती हैं तो कभी साहब और कभी जान कहकर पुकारती हैं लेकिन दिलीप साहब आपको किस नाम से पुकारते हैं ?

वह तो सिर्फ मुझे मेरे नाम सायरा कहकर ही पुकारते हैं .

दिलीप कुमार
JH THAKKER VIMAL THAKKER
दिलीप कुमार

दिलीप साहब के साथ बिताये पुराने दिनों की तुलना आज के दिनों के साथ कैसे करती हैं ?

मैं दिलीप साहब के साथ बिताया हर लम्हा अपना अच्छा नसीब समझती हूँ जो अल्लाह ने मुझे बक्शा है. एक एक पल शानदार है.

मुझे यदि एक और जिंदगी मिलती है तो मैं चाहूंगी मुझे यही जिंदगी फिर से मिले.

फिर भी पुराने दिनों में दिलीप साहब के साथ गुजारे बहुत अच्छे पल आपको कौनसे लगते रहे ?

अपनी जवानी के दिनों में दिलीप साहब के साथ बेडमिन्टन खेलने में बहुत आनंद आता था.

फिर साहब के साथ ड्राइव पर जाना भी हमेशा सुखद लगा. चाहे वह लॉन्ग ड्राइव हो या फिर शॉर्ट ड्राइव.

सायरा बानो और दिलीप कुमार
@TheDilipKumar
सायरा बानो और दिलीप कुमार

अब इन्हीं खुशियों को हम तब एन्जॉय करते हैं जब दिलीप साहब और मैं रात को एकांत में डिनर करते हैं. तब हम हल्का हल्का संगीत चला देते हैं उसमें ज्यादातर हल्का हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत रहता है.

अब हमारा पहले की तरह बहुत ज्यादा यात्राएं करना तो छूट गया है. हाँ कभी स्वस्थ रहने पर हम कभी बाहर डिनर पर या आसपास गाडी में घूमने के लिए जरुर निकल जाते हैं.

पर कुल मिलाकर हम दोनों को ही एक दूसरे का साथ बहुत सुहाता है. आप दुआ कीजिये यह साथ ऐसे ही बना रहे.

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English summary
Saira Banus Kohenoor is Dilip Kumar
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