कृषि विधेयकों के कानून बनते ही SAD ने खेला 'पंजाबी कार्ड'
नई दिल्ली- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से संसद से पास तीनों कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर करके उसे कानून बनाने का रास्ता साफ होने के बाद शिरोमणि अकाली दल बुरी तरह बिफर गई है। पार्टी ने इसे लोकतंत्र और किसानों के लिए काला दिन बताया है और साथ ही साथ इसी दौरान पंजाबी कार्ड भी खेल दिया है। पार्टी नेता सुखबीर सिंह बादल ने जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषाओं में पंजाबी को शामिल नहीं किए जाने को भी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है।
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल बाद ने रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर को 'लोकतंत्र और किसानों के लिए काला दिन बताया है।' इससे पहले उन्होंने राष्ट्रपति से गुजारिश की थी कि वह विधेयकों पर हस्ताक्षर ना करें। गौरतलब है कि शनिवार को पार्टी ने इस मुद्दे पर भाजपा की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से इन्हीं विधेयकों के विरोध में नाता तोड़ लिया था। जबकि, सुखबीर बादल की पत्नी और पार्टी नेता हरसिमरत कौर बादल इसी मसले पर पहले ही मोदी सरकार से इस्तीफा दे चुकी थीं।
रविवार को तीनों कृषि विधेयकों पर जैसे ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर किए सुखबीर बादल ने ट्विटर पर विरोध में लिखा, 'बहुत ही दुखद है कि राष्ट्रपति भवन ने किसानों और पंजाबियों का रोना सुनने से इनकार कर दिया है और कृषि विधेयकों और जम्मू-कश्मीर विधेयक से पंजाबी को आधिकारिक भाषा से बाहर रखने पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। राष्ट्रपति के राष्ट्र की भावना को सुनकर कार्रवाई करने और संसद में विधेयकों को वापस लौटाने की उम्मीदें धाराशाही हो गई हैं। लोकतंत्र और किसानों के लिए काला दिन।'
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद तीनों कृषि विधेयक अब कानून का शक्ल अख्तियार कर चुके हैं। इसके तहत फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) ऐक्ट, 2020 में किसानों को अपना उत्पाद एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी (एपीएमसी) इलाके के बाहर भी बेचने की आजादी मिली है।
फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज ऐक्ट, 2020 में किसानों को यह अधिकार मिल गया है कि वह कृषि कारोबार में जुड़ी कंपनियों, होलसेलरों, निर्यातकों या बड़े रिटेलरों के साथ पहले से तय की गई कीमत पर भविष्य के लिए कृषि उत्पाद बेचने का करार कर सकते हैं। इसके तहत उन्हें तीन दिन के अंदर में भुगतान मिलना तय है।
एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) ऐक्ट, 2020 के लागू होने के बाद अनाज, दालें, तिलहन, प्याज और आलू आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी से हट जाएंगे और इनपर स्टॉक होल्डिंग की सीमा लागू नहीं होगी।
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