सुखबीर बादल की राष्ट्रपति से अपील- कृषि बिल पर न करें हस्ताक्षर
नई दिल्ली। किसानों से जुड़े बिल भले ही लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गए हैं, लेकिन इन बिल को लेकर विपक्षी दलों का हंगामा बढ़ता ही जा रहा है। मोदी सरकार में शामिल सहयोगी अकाली दल भी इस एग्रीकल्चर बिल का विरोध कर रहा है। एग्रीकल्चर बिलों के पास होने के बाद अकाली दल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविद से इस बिल पर हस्ताक्षर ना करने का आग्रह किया है। इसे वापस सदन भेजने के लिए कहा है।
शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने राष्ट्रपति से मांग की कि वे कृषि बिलों को मंजूरी न दें, उन्हें संसद में पुनर्विचार के लिए लौटाएं। उन्होंने कहा कि यह बिल किसान, मजदूर, आढ़तिए, मंडी मजदूरों और दलितों के खिलाफ है, जिसके चलते आप उनका साथ दें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का अर्थ है आम सहमति, बहुसंख्यक उत्पीड़न नहीं। लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन, अगर अन्नदाता सड़कों पर भूखे रहने या सोने के लिए मजबूर है।
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सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि, विधेयक का पारित होना देश के लाखों लोगों के लिए और लोकतंत्र के लिए दुखद दिन है। कृपया सरकार ओर से हस्तक्षेप करें। अन्यथा वे हमें कभी माफ नहीं करेंगे। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने हाल ही में ट्विटर पर लिखा कि "ये अध्यादेश क़रीब 20 लाख किसानों के लिए तो एक झटका है ही, साथ ही मुख्य तौर पर शहरी हिन्दू कमीशन एजेंटों जिनकी संख्या तीस हज़ार बताई जाती है।
उन्होंने कहा कि, उनके लिए और करीब तीन लाख मंडी मज़दूरों के साथ-साथ करीब 30 लाख भूमिहीन खेत मजदूरों के लिए भी यह बड़ा झटका साबित होगा। बता दें कि, रविवार को हंगामे के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक, 2020 पारित किए गए हैं।
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