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बिंदू और कनकदुर्गा जिन्होंने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करके रच दिया इतिहास

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Sabrimala Temple में Entry कर सदियों पुरानी प्रथा break करने वाली women की story जानिए | वनइंडिया हिंदी

कोच्ची। केरल के प्राचीन सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष हटा दिया था। जिसके बाद 2 जनवरी की सुबह दो महिलाओं ने मंदिर के भीतर जाकर लंबे समय से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ दिया है। जो दो महिलाएं मंदिर के भीतर जाने में सफल हुई थीं उनके नाम बिंदू अम्मिनी और कनकदुर्गा है। दरअसल बिंदु दक्षिण भारत के जंगलों से घिरे उस इलाके में खड़ी थीं जहां पर खड़ी चढ़ाई थी। कनकदुर्गा और बिंदू दोनों ही दोस्त थीं और उन्होंने मंदिर जाने का फैसला लिया था। मंदिर से तीन किलोमीटर दूर खड़ी बिंदू और कनकदुर्गा के लिए मंदिर के भीतर प्रवेश करना आसान नहीं था।

महिलाओं के प्रवेश का भारी विरोध

महिलाओं के प्रवेश का भारी विरोध

कोर्ट के फैसले के बाद 2 जनवरी को दोनों महिलाओं ने मंदिर के भीतर प्रवेश करने का फैसला लिया। मंदिर में दर्जनों महिलाएं प्रवेश करने की कोशिश में थीं लेकिन मंदिर के बाहर उनका भारी विरोध हो रहा था और लोग उनके उपर नारियल फेंक रहे थे, इसी वजह से महिलाएं मंदिर के भीतर नहीं जा सकी। बता दें कि सबरीमाला मंदिर में परंपरा के अुसार 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के बाद खत्म कर दिया था।

2 जनवरी की सुबह पहुंची मंदिर में

2 जनवरी की सुबह पहुंची मंदिर में

बिंदु अम्मिनी और कनकदुर्गा 2 जनवरी की सुह 3.45 बजे काले रंग के लंबे गाउन में मंदिर के भीतर पहुंची। मंदिर के भीतर की उनकी यात्रा का एक वीडियो भी सामने आया जिसमे दोनों को मंदिर के एक मेहराब से गुजरते हुए देखा जा सकता है। इस यात्रा के बाद बिंदू ने बताया था कि उनकी यात्रा काफी अच्छी रही। हालांकि कुछ घंटे बाद जब लोग सोकर उठे तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने केरल पुलिस पर देसी बम से हमला कर दिया था। यही नहीं झड़प के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि तकरीबन दो दर्जन लोग घायल हो गए थे। पुलिस के साथ झड़प में शामिल तकरीबन 3000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। दोनों महिलाओं के मंदिर के भीतर जाने के बाद मंदिर के एक पुजारी ने सबरीमाला मंदिर को बंद कर दिया और जल छिड़कर मंदिर का शुद्धिकरण किया।

परिवार से होना पड़ा दूर

परिवार से होना पड़ा दूर

सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के बाद बिंदू और कनकदुर्गा का सफर काफी मुश्किल हो गया। खुद को सुरक्षित रखने के लिए बिंदू को एक सेफ हाउस से दूसरे सेफ हाउस दौड़ना पड़ा। यही नहीं बिंदू अपने घर वापस नहीं लौटीं क्योंकि उन्हें डर था कि अगर वह घर वापस जाती हैं तो उनके पति और बेटी को मुश्किल हो सकती है। लेकिन इन तमाम मुश्किलों के बावजूद बिंदू कहती हैं कि मंदिर के भीतर जाना कारगर रहा। उन्होंने कहा कि हर किसी को समानता का अधिकार मिलना चाहिए और मंदिर के भीतर हमारे प्रवेश को किसी विरोध के तौर पर नहीं देखना चाहिए।

हमारा मकसद परेशानी खड़ी करना नहीं

हमारा मकसद परेशानी खड़ी करना नहीं

बिंदू ने बताया कि मंदिर के भीतर जाने का हमारा मकसद यह नहीं था कि हम लोगों के लिए परेशानी खड़ी करना चाहते थे बल्कि हमारा उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण पेश करना था। हर वर्ष लोग मंदिर की सोने से बनी 18 सीढ़ियों को चढ़ने का इंतजार करते हैं। लोगों का मानना है कि भगवान अयप्पा बाल ब्रम्हचारी थे, इसी वजह से यह नियम बनाया गया कि 10 वर्ष से 50 वर्ष की महिलाओं के मंदिर के भीतर प्रवेश वर्जित होगा।

कनक का परिवार उनके खिलाफ

कनक का परिवार उनके खिलाफ

अहम बात यह है कि कनकदुर्गा का परिवार मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ था। कनकदुर्गा केरल के राज्य सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन में असिस्टेंट मैनेजर हैं। जानकारी के अनुसार कनक काफी धार्मिक महिला हैं, वह अक्सर मंदिर जाती हैं। लेकिन जब उनके परिवार को इस बात की जानकारी मिली कि वह सबरीमाला मंदिर जाने की योजना बना रही हैं तो परिवार ने इसका विरोध किया। कनक के पति पेशे से इंजीनियर हैं और उनके दो बच्चे भी हैं। वह केरल के नायर परिवार से आती हैं, नायर समुदाय के लोग केरल में सवर्ण वर्ग में आते हैं। बिंदू और कनकदुर्गा की मुलाकात फेसबुक पर हुई थी।

बड़ी बेंच करेगी सुनवाई

बड़ी बेंच करेगी सुनवाई

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर 2018 को सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी थी और महिलाओं पर लगी पाबंदी को हटा दिया था। कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। जिसपर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मसले को बड़ी बेंच को भेजे जाने का फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने सबरीमाला मामले को 3:2 के फैसले से बड़ी बेंच को सौंप दिया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपराएं धर्म के सर्वोच्च सर्वमान्य नियमों के मुताबिक होनी चाहिए। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाने से इनकार कर दिया है, ऐसे में महिलाएं मंदिर के भीतर जा सकती हैं।

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English summary
Sabrimala Temple: Two ladies who broke the barrier and entered into the temple.
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