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सबरीमाला मंदिर में महिलाएं अब कर सकेंगी प्रवेश, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 बड़ी बातें

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Sabarimala Temple में अब महिलाओं का होगा प्रवेश, Supreme Court ने दिया ऐतिहासिक फैसला | वनइंडिया

नई दिल्ली। केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी हट गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश से वंचित करना असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सबरीमाला मंदिर के दरवाजे सभी महिलाओं के लिए खुल गए है। सुप्रीम कोर्ट ने इस ऐतिहासिक फैसले के दौरान कई बड़ी बातें कहीं।

सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश

सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश

1. सबरीमाला मंदिर मामले पर पांच जजों की बेंच में से 4 जजों ने माना कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश से वंचित करना असंवैधानिक है। हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत होनी चाहिए।

2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयप्पा के अनुयायी भी हिंदू धर्म का हिस्सा हैं। समाज को अपनी सोच बदलनी होगी और इसमें बदलाव जरूरी है। पितृसत्तात्मक सोच आड़े नहीं आनी चाहिए। धर्म के मामले में सभी को बराबरी का अधिकार है।

3. जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि क्या संविधान महिलाओं के लिए अपमानजनक बातें स्वीकार कर सकता है ? पूजा से इनकार करना, महिला गरिमा से इनकार, क्या ये हमारा संविधान स्वीकार करता है? एक तरफ आप महिलाओं को देवी मानते हैं और दूसरी तरफ आप उन्हें मंदिर में प्रवेश से रोकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को मिलेगा प्रवेश सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को मिलेगा प्रवेश

जस्टिस इंदू मल्होत्रा की राय अलग

जस्टिस इंदू मल्होत्रा की राय अलग

4. जबकि इससे इतर, जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने कहा कि धार्मिक परंपराओं में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। किसी को अगर धार्मिक प्रथा में भरोसा है तो उसका सम्मान होना चाहिए। ये प्रथाएं संविधान से संरक्षित हैं और समानता के अधिकार को धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के साथ ही देखना चाहिए। उनका कहना था कि कोर्ट का काम प्रथाओं को रद्द करना नहीं है।

5. जबकि जस्टिस नरीमन ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को भी पूजा का समान अधिकार है। ये मौलिक अधिकार है।

6. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि प्रवेश को लेकर लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर थी पाबंदी

सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर थी पाबंदी

7. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 25 के मुताबिक सभी बराबर हैं। वैयक्तिक गरिमा अलग चीज़ है लेकिन साथ ही समाज मे सबकी गरिमा का ख्याल रखना भी जरूरी है।

8. इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने इस पाबंदी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में ये कहा गया था कि ये प्रथा लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है। याचिकाकर्ता ने इसे खत्म करने की मांग की थी।

9. केरल सरकार ने भी दलील दी थी कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश मिलना चाहिए, जबकि याचिका का विरोध करने वालों का कहना था कि धार्मिक मामलों में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

10. सबरीमाला मंदिर मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरिमन, जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की की बेंच ने अपना फैसला सुनाया।

सबरीमाला: वो मंदिर, जहां 10-50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश से रोक हटीसबरीमाला: वो मंदिर, जहां 10-50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश से रोक हटी

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English summary
Sabarimala verdict: Supreme Court allows entry of women in Kerala’s temple
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