तृप्ति देसाई महिलाओं के लिए सबरीमाला से पहले दरगाह के द्वार भी खुलवा चुकी हैं
बेंगलुरु। केरल में सुप्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को लेकर उहापोह की स्थिति के बीच शनिवार को मंदिर के द्वार खुल चुके हैं। एक बार फिर सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने ऐलान किया है कि वो आज मंदिर में दाखिल होंगी और भगवान अयप्पा के दर्शन करेंगी। इसके पलले भी वर्ष 2018 में उन्होंने सबरीमाला मंदिर में जाने की असफल कोशिश की थी।
बता दें मंदिर के गर्भ-गृह में दस साल से पचास साल की आयु-वर्ग की स्त्रियों का जाना वर्जित है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ाइनल वर्डिक्ट आना अभी भी बाक़ी है। 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं को 7 न्यायायधीशों की बड़ी बेंच को भेज दिया है। साथ ही आदेश दिया है कि,अगला फैसला आने तक सुप्रीम कोर्ट का 2018 वाला फैसला लागू रहेगा। यानी महिलाओं के मंदिर में जाने पर प्रतिबंध नहीं लगेगा। देश की सर्वोच्च अदालत ने 28 सितंबर 2018 को 4:1 के बहुमत से मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को मंजूरी दी थी।
केरल सरकार ने कहा मंदिर में सुरक्षा चाहिए तो लाएं कोर्ट का आदेश
अदालत के इस फैसले पर 56 पुनर्विचार समेत 65 याचिकाएं दायर की गई थीं। लेकिन शनिवार को मंदिर खुलने के बीच, केरल सरकार ने कहा है कि मंदिर में प्रवेश करने वाली महिला कार्यकर्ताओं को कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी।
केरल सरकार के एक मंत्री काडाकंपाली सुरेंद्रन ने कहा किसरकार हर हाल में शांति चाहती है। उन्होंने कहा कि अगर तृप्ति देसाई को सुरक्षा चाहिए तो वे इसके लिए कोर्ट का आदेश लेकर आएं। तृप्ति देसाई जैसी कार्यकर्ता को सबरीमाला मंदिर को शक्ति प्रदर्शन का स्थान नहीं बनाना चाहिए।
2018 में भक्तों ने दी थी खुदकुशी की धमकी
नवंबर 2018 में, तृप्ति ने मंडलम-मकरविल्क तीर्थयात्रा के दौरान केरल के सबरीमाला मंदिर में जाने का असफल प्रयास किया। 2018 में महिलाओं के मंदिर में जाने पर प्रतिबंध नहीं लगेगा सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद तृप्ति देसाई ने मंदिर में प्रवेश की यहकोशिश की थी।
तब प्रदर्शनकारियों ने उन्हें धमकी दी थी कि चाहे जो हो जाए मंदिर की शांति को भंग नहीं होने दिया जाएगा। अगर तृप्ति देसाई मंदिर में एंट्री करने की कोशिश करेंगी, तो उन्हें विरोधियों की लाश से होकर गुजरना होगा। उन्हें केरल आने पर 'बुरे परिणाम भुगतने' पड़ेगे। कई लोगों ने खुदकुशी की धमकी भी दी थी।
तृप्ति ने धार्मिक स्थानों में प्रवेश के भेदभाव पर मुहिम चला रखी है
'भूमाता ब्रिगेड' संस्था की कार्यकर्ता तृप्ति देसाई काफी समय से मंदिरों में प्रवेश के भेदभाव पर मुहिम चला रखी हैं। तृप्ति ने केरल के सबरीमाला मंदिर ही नहीं बल्कि देश के कई मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने में तृप्ति की अहम भूमिका निभाती आयी हैं।सबरीमाला के अलावा हाजी अली दरगाह, महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर, नासिक के त्रयंबकेश्वर, कपालेश्वर और कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर के द्वार महिलाओं के लिए खुलवाने में संघर्ष किया।
स्नातक की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी
देसाई का जन्म भारतीय राज्य कर्नाटक के निपानी तालुका में हुआ। उनके पिता ने एक आश्रम के लिए परिवार छोड़ दिया और उसकी माँ ने उनके दो भाई-बहनों के साथ उनका पालन-पोषण किया। श्रीमती नाथीबाई दामोदर थ्रैक्रसे (एसएनडीटी) महिला विश्वविद्यालय के पुणे परिसर में गृह विज्ञान का अध्ययन किया लेकिन पारिवारिक समस्याओं के कारण प्रथम वर्ष में ही उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। इसके बाद में संस्था 'क्रांतीवीर झोपड़ी विकास संघ' की प्रेज़ीडेंट बनीं. इस दौरान वे स्लम इलाकों पर काम करती थीं।
तृप्ति सभी धार्मिक अनुष्ठानों का करती हैं पालन
तृप्ति शादीशुदा है और उसका एक बेटा हैं , जिसका नाम योगीराज देसाई है। तृप्ति के पति प्रशांत देसाई हैं, बाकौल प्रशांत "बेहद आध्यात्मिक" हैं और कोल्हापुर के गगनगिरी महाराज की अनुयायी हैं और सभी धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करती हैं। हालाँकि, दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा अफवाह फैलाई जाती है कि उन्हें हाल ही में ईसाई धर्म में परिवर्तित किया गया है।
2007 में पहली बार सुर्खियों में आयीं तृप्ति
वे पहली बार 2007 में सुर्खियों में तब आईं, जब उन्होंने 'अजीत को-ओपरेटिव बैंक' के चेयरमैन अजीत पवार पर 50 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप लगाया। जनवरी 2009 में, उन्होंने महाराष्ट्र के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के खिलाफ एक समूह का नेतृत्व किया। 2013 में उसके खिलाफ एक गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था, जिसने कथित तौर पर "पवार के पुतले को थप्पड़ मारा था, अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था और प्रतिबंधात्मक आदेशों के बावजूद एक अवैध आंदोलन किया था"। देसाई को तुरंत जमानत पर रिहा कर दिया गया।
संस्था से जुड़ी हैं 5 हजार से अधिक महिलाएं
2012 के सिविक चुनाव में बालाजी नगर वार्ड से बतौर कांग्रेस कैंडिडेट खड़ी हुई। 2010 में उन्होंने भूमाता ब्रिगेड की स्थापना की। उसके बाद से वे धार्मिक जगहों पर महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटवाने के लिए जानी जाने लगीं। इस संस्था का हेड आफिस मुम्बई में हैं और शाखाएं अहमदनगर, नासिक और शोलापुर में भी हैं। इस संस्था से 5000 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। 2011 में उन्होंने अन्ना हजारे के इंडिया अगेंस्ट करप्शन में हिस्सा भी लिया।
शनि शिंगनापुर मंदिर में प्रवेश
बात नवंबर 2015 की है जब एक महिला ने शनि शिंगनापुर मंदिर में प्रवेश किया, जहां महिलाओं को अनुमति नहीं थी। मंदिर के पुजारियों ने उस समय ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी को निलंबित कर दिया और मूर्ति की सफाई की। महिलाओं के प्रति भेदभाव की इस घटना ने देसाई आगबबूला हो गयी। जिसके बाद अपने ब्रिगेड के अन्य सदस्यों के साथ धर्मस्थल में विभिन्न जबरन प्रविष्टियों का मंचन किया।
राज्य सरकार और पुणे की जिला स्तरीय अदालत ने मंदिर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने संवैधानिक अधिकारों के आधार पर मंदिर में महिलाओं को अनुमति दे सकते हैं। 8 अप्रैल 2016 को, महाराष्ट्र के नववर्ष के अससर पर मनाए जाने वाले गुड़ी पड़वा के पर्व पर ब्रिगेड की अन्य महिला सदस्यों के साथ देसाई ने शनि शिंगनापुर मंदिर के मंदिर में प्रवेश किया।
त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में प्रवेश
शिंगनापुर में प्रवेश के बाद, देसाई कोल्हापुर में महालक्ष्मी मंदिर पहुंचे, जहां मंदिर प्रबंधन समिति ने उन्हें प्रवेश की अनुमति दी, लेकिन पुजारी उनके खिलाफ हिंसक हो गए। देसाई और प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के लिए पांच पुजारियों को गिरफ्तार किया गया।
वह नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर शिव मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में भी पहुंची, जहाँ उसे शांतिपूर्वक पुलिस ने छोड़ दिया, लेकिन केवल गीले कपड़ों के साथ जाने की अनुमति दी। जैसे मंदिर पुरुषों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देता है।
हाजी अली दरगाह में प्रवेश
अप्रैल 2016 में, उसने मुंबई में हाजी अली दरगाह में प्रवेश करने का प्रयास किया, हालाँकि, एक गुस्साई भीड़ ने इसे असफल बना दिया। देसाई ने दावा किया कि अगर उन्हें फिर से दरगाह के इस्लामिक धर्मस्थल में घुसने की कोशिश की गई तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा चुकी है। 12 मई 2016 को, तृप्ति ने दूसरा प्रयास किया और कड़ी सुरक्षा के बीच मस्जिद में प्रवेश किया लेकिन उस आंतरिक गर्भगृह में नहीं जाने दिया गया। जहाँ महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं है।
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