शिवसेना में बताई वजह, क्यों मंत्रीमंडल में शामिल नहीं हो पाए पार्टी के पुराने नेता?
मुंबई। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा अपने नए मंत्रिपरिषद के पहले विस्तार में कई विधायकों को नजरअंदाज किए जाने के बाद शिवसेना के भीतर आक्रोश पनप रहा है। पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में मंगलवार को कई विधायकों के शामिल ना करने के कारणों को स्पष्ट किया गया है। पत्र में लिखा गया कि, उद्धव की टीम में असली शिवसैनिकों को शामिल नहीं किया गया है। लेकिन उन निर्दलीय विधायकों को शामिल करना जरूरी था, जो सरकार को समर्थन दे रहे थे।
संपादकीय में लिखा है कि बच्चू कडू, शंकर राव गडाख और राजेंद्र येड्रावकर निर्दलीयों को शिवसेना के कोटे से मंत्री बनाया गया है। इस कारण पुराने शिवसैनिकों को मंत्री पद नहीं मिल पाया। कोल्हापुर के शिवसेना के एक मात्र विधायक प्रकाश आबिब्कर को भी इस कारण मौका नहीं मिल पाया होगा। बाकी शिवसेना के वही चेहरे हैं। ठाकरे के करीबी माने जाने वाले रवींद्र वायकर को भी आश्चर्यजनक रूप से सूची से बाहर कर दिया गया।
गठबंधन सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले संजय राउत भी दो बार के विधायक अपने भाई सुनील राउत को मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज बताए जा रहे हैं। मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में उनकी गैरमौजूदगी को इस नाराजगी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। सोमवार को कैबिनेट विस्तार और कैबिनेट की बैठक के बाद, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, "कितने लोगों को मंत्रिपरिषद में समायोजित किया जा सकता है, इसकी सीमाएँ हैं। यह तीन-पक्षीय सरकार है।
बता दें कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में कांग्रेस-शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गठबंधन की सरकार बनने के 32 दिन बाद सोमवार को मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हुआ। जिसमें कुल 36 मंत्रियों ने शपथ ली। राकांपा नेता अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री और आदित्य ठाकरे को मंत्री बनाया गया। नये मंत्रियों में 26 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली।
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