चीनी विदेश मंत्री को जयशंकर की दो टूक, सीमा पर नहीं हुई शांति तो उठाना पड़ेगा हर तरह का नुकसान
नई दिल्ली। गुरुवार को रूस की राजधानी मॉस्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग वाई से मुलाकात की है। दोनों की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री को स्पष्ट कर दिया है कि जब तक एलएसी के हर बिंदु पर पूर्ण और सत्यापन योग्य डिसइंगेजमेंट नहीं हो जाता है तब तक भारत की सेनाएं पीछे नहीं हटेंगी। टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जयशंकर और वांग के बीच काफी तल्ख वार्ता हुई है।
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मीटिंग में आया जयशंकर को गुस्सा
जयशंकर और वांग वाई की मीटिंग शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) सम्मेलन से इतर हुई थी। दोनों नेता करीब 2 घंटे 20 मिनट तक वार्ता में मशगूल थे। इसी दौरान जयशंकर काफी नाराज हो गए और दोनों नेताओं के बीच गरमा-गरमी हो गई। यह उस समय हुआ जब जयशंकर भारत का तल्ख रुख चीनी विदेश मंत्री को स्पष्ट कर रहे थे। जयशंकर ने इस दौरान चीन के स्टेट काउंसिलर को साफ कर दिया कि अगर बॉर्डर पर शांति नहीं हुई तो फिर भारत और चीन के रिश्तों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान संकट की वजह है पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) का उन समझौतों को न मानना जो दोनों देशों के बीच हुए हैं। उनका कहना था कि अप्रैल और मई में पीएलए ने जिस तरह का विशाल निर्माण कर लिया है और अतिक्रमण कर डाला है उसके बाद भारत को स्थिति दिखाने और तैनाती बढ़ाने पर मजबूर कर दिया है।
बॉर्डर पर शांति के बिना रिश्ते नहीं
सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत, एलएसी पर चीन की तरफ से होने वाले डिसइंगेजमेंट को सत्यापित करेगा और उस वादे को परखेगा जो उसने किया है। हाल के कुछ हफ्तों में चीनी जवानों ने अपने वादे को हर बार तोड़ा है। चीन की तरफ से वांग वाई और जयशंकर की मीटिंग के बाद एक रीडआउट जारी किया गया है। इसमें कहा गया है, 'भारतीय पक्ष इस बात पर विचार नहीं करता है कि भारत-चीन के रिश्तों का विकास सीमा विवाद के हल पर निर्भर करता है और भारत पीछे नहीं लौटना चाहता है।' मीटिंग में मौजूद भारतीय अधिकारियों की मानें तो भारत ने जोर देकर यह बात चीन को बताई है कि दोनों देशों के रिश्ते एक शांतिपूर्ण बॉर्डर पर निर्भर करते हैं। चीन की तरफ से बार-बार इस आइडिया को आगे बढ़ाया जा रहा था कि सीमा पर जारी संकट के बाद भी रिश्ते आगे बढ़ सकते हैं।
भारत ने कई इलाकों पर किया कब्जा
वांग वाई ने मॉस्को में कहा है कि भारत और चीन एक निष्कर्ष पर पहुंचे हैं और दोनों ही एक दूसरे से मिलना चाहते हैं। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि जयशंकर ने वांग से कहा कि पूर्वी लद्दाख में जारी घटनाओं ने द्विपक्षीय संबंधों के विकार को प्रभावित किया है। उन्होंने चीनी विदेश मंत्री को स्पष्ट कर दिया है कि तुरंत समाधान ही हर किसी के हित में है। हाल के कुछ दिनों भारतीय सेना ने हर किसी को चौंकाते हुए पैंगोंग त्सो के अहम और रणनीतिक इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया है। चीन की तरफ से लगातार भारतीय जवानों को भड़काया जा रहा। चुशुल में बड़े पैमाने पर जवानों को तैनात कर दिया गया है।
चीन लगातार तोड़ रहा समझौते
भारत की तरफ से बार-बार कहा गया है कि चीन की तरफ से साल 1993 और 1996 में हुए समझौतों का उल्लंघन किया गया है। 15 जून को गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच हिंसक मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। चीन के भी करीब 43 सैनिक मारे गए थे लेकिन चीन ने अभी तक इस बात को नहीं माना है। इस घटना के बाद से ही भारत और चीन के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। पांच मई से ही पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच टकराव जारी है। चार माह से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका है।