रूस को नहीं मिले नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े दस्तावेज, सरकार ने संसद में दिया जवाब
नई दिल्ली। रूस ने भारतीय अधिकारियों को सूचित किया है कि वो अपने अभिलेखागार में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित किसी भी दस्तावेज को खोजने में असमर्थ रहा है। यह बात विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधन ने बुधवार को लोकसभा में कही। सदन में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, वी मुरलीधरन ने कहा कि भारत ने 1945 से पहले या बाद में रूस में बोस की उपस्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी जैसा कि कुछ शोधकर्ताओं द्वारा बताया गया है।
2014 के बाद से, भारत सरकार ने ऐसे किसी भी दस्तावेज़ को प्राप्त करने के लिए कई अनुरोध किए हैं जो रूस के अभिलेखागार में हो सकते हैं। लोकसभा में लिखित जवाब देते हुए कहा कि रूस को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित कोई भी दस्तावेज नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि रूसी सरकार ने भारत को अवगत कराया है कि उनके अभिलेखागार में सुभाष चंद्र बोस से जुड़ा कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं। यहां तक की भारत की ओर से किए अनुरोध पर अतिरिक्त जांच के बाद भी वे जानकारी नहीं खोज पाए हैं।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस कम से कम 1968 तक रूस में थे जब उनकी मुलाकात निखिल चट्टोपाध्याय, क्रांतिकारी वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय के बेटे से ओम्स्क में हुई थी। पीएम की ओर से साल 2016 में जारी एक हलफनामे में इस बात का जिक्र है। 2000 में मुखर्जी आयोग के समक्ष दायर, हलफनामे में निखिल चट्टोपाध्याय ने कहा कि बोस रूस में छिपे हुए थे क्योंकि उन्हें ऐसा लगा था कि भारत में युद्ध अपराधी के रूप में उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है।एक जापानी विमान के फॉर्मोसा (अब ताइवान) दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद 18 अगस्त, 1945 को नेताजी की मृत्यु हो गई। हालांकि, कई लोग, खासकर बंगाल में, लोग नेताजी की मृत्यू के लिए सामने आए तथ्य को मानने से इनकार करते हैं।
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