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कासगंज हिंसा से जुड़ी अफवाहें और उनकी हक़ीक़त

हिंसा के दौरान कासगंज की गलियों से लेकर सोशल मीडिया तक अफवाहों का बाज़ार गर्म रहा.

By BBC News हिन्दी
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चंदन गुप्ता
ASHOK SHARMA/BBC
चंदन गुप्ता

उत्तर प्रदेश के कासगंज में गणतंत्र दिवस के मौक़े पर निकाली जा रही तिरंगा यात्रा के दौरान हुई एक झड़प ने साम्प्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया था. हिंसा में चंदन गुप्ता नाम के एक युवक की गोली लगने से मौत हो गई थी.

वहीं, नौशाद नाम का एक शख्स घटनास्थल पर कथित रूप से गोलीबारी की चपेट में आने से घायल हो गया था. इस घटना के बाद अफवाहों का बाजार भी गर्म रहा. गलियों से लेकर सोशल मीडिया तक झूठी सूचनाएं फैलाई गई.

घटना को लेकर कई दावे किए गए. अफवाह को देखते हुए ज़िले में इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगा दी गई थी, जिसे मंगलवार को बहाल कर दिया गया.

आइए, जानते हैं घटना के बाद कैसी-कैसी अफवाहें फैलाई गईं और असल में सच्चाई क्या थी.

कासगंज हिंसा
SAMIRATMAJ MISHRA/BBC
कासगंज हिंसा

ज़िंदा को बताया 'मृत'

हिंसा में चंदन गुप्ता की मौत हो गई थी. सोशल मीडिया पर उनकी मौत की चर्चाएं हो ही रही थी कि एक और युवा राहुल उपाध्याय की हिंसा में मौत होने का झूठा प्रचार किया जाने लगा.

ट्विटर और फ़ेसबुक पर राहुल की तस्वीर शेयर की जाने लगी. उन्हें 'शहीद' करार देने वाले पोस्ट लिखे जाने लगे. लेकिन कुछ देर बाद ही असलियत लोगों के सामने आ गई जब राहुल उपाध्याय ने खुद थाने पहुंचकर अपने ज़िंदा होने का सबूत पेश किया.

घटना के वक्त राहुल उपाध्याय अलीगढ़ में अपने गांव नगला खानजी में थे. सोशल मीडिया पर फैल रहे अफवाह की जानकारी उन्हें जान-पहचान के लोगों से मिली.

राहुल ने बताया, "मुझे समझ में आ गया था कि कुछ लोग दंगा भड़काने के लिए मेरा इस्तेमाल कर रहे थे. कहा जा रहा था कि हिंदुओं को मारा जा रहा है. मैं तुरंत ही पुलिस स्टेशन गया और सारी बातें बताई."

हिंदू ने हिंदू को मारा

इसके बाद सोशल मीडिया पर एक और अफवाह फैलाई गई कि एक हिंदू ने ही चंदन गुप्ता पर गोली चलाई थी. सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया कि मृतक पर गोली चलाने वाले का नाम कमल सोनकर था.

धीरे-धीरे अफवाह सोशल मीडिया के ज़रिए उत्तर प्रदेश के तनावग्रस्त क्षेत्रों में पहुंच गई. कासगंज के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने इसे महज एक अफवाह बताया था और कहा था कि पुलिस अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है. जांच के बाद की यह स्पष्ट हो पाएगा.

कासगंज हिंसा
SAMIRATMAJ MISHRA/BBC
कासगंज हिंसा

नौशाद पहले से अस्पताल में भर्ती

हिंसक घटना में घायल होने वाले नौशाद भी अफवाह से नहीं बच पाए. यह बात फैलाई गई कि वो घटना के वक्त वहां मौजूद नहीं थे. यह दावा किया गया कि वो पहले से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे.

जबकि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अजय आनंद का कहना है कि नौशाद हिंसक घटना के वक्त वहां मौजूद थे. समीरात्मज मिश्र के मुताबिक एडीजी अजय आनंद ने बताया कि चंदन की मौत और नौशाद के घायल होने की घटना तिंरगा यात्रा के दौरान हुई थी.

पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगे

घटना के बाद यह भी बात सामने आई कि भीड़ के एक पक्ष ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाए. यह भी दावा किया गया कि इसके बाद ही तिरंगा यात्रा ने हिंसक रूप ले लिया.

हालांकि कासगंज के डीएम आरपी सिंह का कहना है कि 'इस बात में कितनी सत्यता है, ये बताया नहीं जा सकता. अभी तक इस बात का कोई प्रत्यक्षदर्शी सामने नहीं आया है. मामले की जांच चल रही है. पूरी होने के बाद ही सच का पता चल पाएगा.'

BBC Hindi
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English summary
Rumors and their rights related to Kasganj violence
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